जुमे की नमाज के बीच शुक्रवार (20 मई, 2022) को ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले को जिला अदालत के पास भेज दिया। इस मामले में अब वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई होगी। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 मई का अंतरिम आदेश फैसला आने तक और 8 हफ्तों तक जारी रहेगा।
इसके पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले को जिला जज के पास भेजा जा सकता है जहां दोनों पक्ष अपनी बात रखेंगे। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि तथ्य सुनिश्चित करना सेक्शन 3 का उल्लंघन नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी की जिला अदालत करेगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट का आदेश
इसके पहले, असिस्टेंट कोर्ट कमिश्नर अजय प्रताप सिंह ने मस्जिद से संबंधित सर्वे पर समाचार एजेंसी एएनआई से कहा- सुप्रीम कोर्ट आज दोपहर तीन बजे सुनवाई करेगा। मैंने सुना है कि अदालत में जमा की गई सर्वे रिपोर्ट लीक हो गई है। मुझे नहीं मालूम कि आखिर यह कैसे हुआ?
वहीं, इंतेजामिया कमेटी के महासचिव अब्दुल बातिन नोमानी का कहना था, “सभी पुरानी शाही मस्जिदों में एक फव्वारा है। बनारस में 3 शाही मस्जिदें हैं जिनमें ज्ञानवापी, आलमगिरी और धरारा में फव्वारा है। पूरे यूपी में आपको ऐसे कई फव्वारे मिल जाएंगे। यह सिर्फ एक फव्वारा है, यह कैसे ‘शिवलिंग’ हो सकता है?”
इस बीच, एक हिंदी न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने दावा किया है कि औरंगजेब का मालिकाना संपत्ति पर कोई हक नहीं है। ज्ञानवापी मस्जिद का तो बस ढांचा है। असम में बेस तो मंदिर का है।
Varanasi Gyanvapi Masjid Case Updates in Hindi: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई से जुड़ी हाईलाइट्स
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 17 मई का जो अंतरिम आदेश था, जो एरिया सील किया गया है जहां शिवलिंग पाया गया है वो बरकरार रहेगा। वजू़ के लिए व्यवस्था की जाएगी।
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की सुनवाई अब जिला जज वाराणसी करेंगे, अब तक सिविल जज सीनियर डिवीजन वाराणसी इसकी सुनवाई कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 मई का अंतरिम आदेश 8 हफ्तों तक जारी रहेगा। इस मामले में जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने इस मामले को जिला अदालत के पास भेज दिया। इस मामले में अब वाराणसी की जिला अदालत में सुनवाई होगी।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि तथ्य सुनिश्चित करना सेक्शन 3 का उल्लंघन नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक नहीं, पूजा करने का अधिकार मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला जज से राहत न मिले तो हमारे यहां आइए, हमारे दरवाजे खुले हैं।
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि कोर्ट प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 देखे। साथ ही मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि मस्जिद में शिवलिंग नहीं फव्वारा है।
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कहा कि पहले रिपोर्ट देखने को कहा जाए। जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सर्वे कमीशन बनना ही नहीं चाहिए था। कई सालों की यथास्थिति बदली जा रही है।
मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की है। मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से आज ही आदेश देने की मांग की है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जिला जज को आदेश नहीं देंगे कि कैसे काम करें।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए पहली टिप्पणी की और कहा कि हम निचली अदालत के लिए निर्देश दे सकते हैं। इस मामले को जिजा जज के पास भेजा जाए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जिला जज के पास 25 साल का अनुभव है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई 6 जुलाई तक के लिए टाल दी। वाराणसी के अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस प्रकाश पाडिया ने सुनवाई की अगली तारीख 6 जुलाई तय की।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में कुछ मिनटों में सुनवाई शुरू होने वाली है। निचली अदालत के सर्वे के आदेश के बाद यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है।
हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने हिंदी चैनल एबीपी न्यूज को शुक्रवार को बताया- मंदिर होने के बहुत सारे सबूत हैं। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। मैंने शेषनाग के फन जैसी आकृति को देखा है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद कॉम्पलेक्स के बाहर शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए भारी संख्या में नमाजी जुटे। इससे पहले, आज मस्जिद कमेटी ने 'वजुखाना' सील होने के कारण लोगों से मस्जिद में कम संख्या में आने की अपील की थी।
ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में आज सुप्रीम सुनवाई से पहले जुमे की नमाज होनी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नमाज से करीब एक घंटा पहले ही मस्जिद भर गई। बताया गया कि वहां नमाजियों को अब एंट्री नहीं दी जा रही है, जबकि बाहर सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है।
रामजन्म भूमि विवाद मामले के एक प्रमुख याचिकाकर्ता रहे हाजी महबूब ने दावा किया कि यदि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह को बचाने के लिए मुसलमान आंदोलन छेड़ेंगे तो देश ‘‘तबाही’’ की ओर जाएगा। महबूब ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बाबरी मस्जिद के बाद ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह को भी छीनना चाहता है।”
उन्होंने दावा किया, ‘‘उन्हें दोनों मस्जिदों को जबरदस्ती लेने के बारे में भूल जाना चाहिए क्योंकि ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में ईदगाह को बचाने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा और इस बार मुसलमान नहीं झुकेंगे।’’ महबूब ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग पाए जाने का झूठा प्रचार किया जा रहा है।
दरअसल, ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने वाले टीम ने गुरुवार को वाराणसी की दीवानी अदालत को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने उसे और एक दिन सुनवाई नहीं करने को कहा। शीर्ष न्यायालय ने निचली अदालत को ज्ञानवापी मामले में आगे की सुनवाई तब तक नहीं करने को कहा, जब तक कि वह शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर लेता। शीर्ष न्यायालय ने इसकी सुनवाई टाल दी क्योंकि एक वकील बीमार हैं।
हिंदू याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने कहा कि वाराणसी की अदालत अब 23 मई को सुनवाई जारी रखेगी। मस्जिद प्रबंधन समिति के वकील ने कहा कि दोनों पक्षों ने बृहस्पतिवार को निचली अदालत में अपनी-अपनी ‘आपत्तियां एवं जवाबी-आपत्तियां दाखिल की। ’’ अब 23 मई को दीवानी अदालत में जिन याचिकाओं की सुनवाई की जाने की उम्मीद है, उनमें एक यह याचिका भी है जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर और इससे लगी ज्ञापवापी मस्जिद के बीच एक दीवार को हटाने का अनुरोध किया गया है।
जिला दीवानी न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने महिलाओं के एक समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वेक्षण का आदेश दिया था। याचिका के जरिए मस्जिद की बाहरी दीवार पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्रतिदिन पूजा करने का अधिकार देने की अनुमति मांगी गई थी। वाराणसी में, विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने रिपोर्ट पेश करने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘ मैंने 14, 15 और 16 मई की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर दी है। रिपोर्ट में क्या है यह मुझे बताने का अधिकार नहीं है। अब रिपोर्ट पर आगे की कार्यवाही अदालत करेगी।’’