ज्ञानवापी मामले में व्यासजी तहखाने की पूजा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। दूसरी तरफ जिला कोर्ट में मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई होनी है। कोर्ट ने इस मामले में एएसआई के सर्वे पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आपत्ति मांगी हैं। हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी के सभी तहखानों का एएसआई सर्वे कराने की मांग की है। इस मामले में भी आज सुनवाई होनी है। इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के एएसआई सर्वे की याचिका को भी जिला जज सुनेंगे। याचिकाएं पांच महिला वादी की ओर से दाखिल की गई है, जिस पर जिला जज दोनों पक्षों की बात सुनेंगे।
व्यासजी तहखाने में पूजा पर रोक नहीं
ज्ञानवापी में व्यासजी के तहखाने में पूजा की रोक की मांग को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई तक पूजा पर रोक नहीं लगाई है। आज सुनवाई के बावजूद व्यास तहखाने में पूजा अर्चना जारी रहेगी। मुस्लिम पक्ष से इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड के वकीलों ने आज फिर दलील दी कि व्यास तहखाने में कभी हिंदुओं का कब्जा नहीं रहा। हिंदुओं का दावा पूरी तरह से गलत है।
मस्जिद कमेटी ने दी ये दलीलें
ज्ञानवापी मामले में मस्जिद कमेटी की ओर से कहा गया है कि 17 जनवरी के डीएम को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश पर सवाल उठाए हैं। नक़वी ने आरोप लगाया कि वादी के प्रभाव में आकर आदेश पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि वादी ने जो कुछ भी कहा उसे अंतिम सत्य या ईश्वरीय सत्य मान लिया गया है। 30 साल बाद व्यास जी के तहखाने पर हक जताने वाला शख्स कौन है, इसका लिखित कोई बयान नहीं है।
बाबरी मामले में निर्मोही अखाड़े के एक व्यक्ति ने अधिकार मांगा था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमीनी जांच के बाद अर्जी को ख़ारिज कर दिया था।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ?
इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बहस चली जिसके बाद न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दोनों पक्षों को अपना-अपना दावा साबित करने को कहा था। इस दौरान ज्ञानवापी तहखाने में मिले पूजा के अधिकार को जहां मंदिर पक्ष ने सही बताया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने मंदिर पक्ष और यूपी सरकार के बीच साठगांठ होने का आरोप लगाया था। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि तहखाने का प्रयोग सिर्फ स्टोर रूम के बतौर हो रहा था, लेकिन हिन्दू पक्ष का दावा है कि वहां साल 1993 से पहले तक रोजाना पूजा होती थी।