ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामला जहां एक तरफ न्यायालय में चल रहा है। वहीं अब संत भी मुखर होने लगे हैं। शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शनिवार ( 4 जून, 2022) को ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग को आदि विशेश्वर भगवान मानकर पूजा करने की घोषणा की है।

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ‘द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुझे आदेश दिया है कि भगवान जी वहां प्रकट हुए हैं। पूजा शुरू होनी चाहिए, तुम वहां जाओ। और समस्त सनातन धर्मियों की तरफ से वहां पूजा शुरू करवाओ। वहां प्रकट हुए आदि विशेश्वर भगवान की पूजा आराधना प्रारंभ करो, उनके आदेश से हम काशी आ गए हैं। यहां पर तैयारी करने के बाद शनिवार को भगवान विशेश्वर की पूजा के लिए हम जाएंगे। उन्होंने कहा कि ‘शंकराचार्य महाराज सनातन धर्म के सर्वोच्च आचार्य हैं। उनका अधिकार बनता है कि सनातन धर्म के बारे में वह व्यवस्था दें। यह शंकराचार्य जी के क्षेत्राधिकार में आता है। उनका यह निर्णय और आदेश है कि भगवान आदि विशेश्वर जो प्रकट हो चुके हैं, उनकी पूजा-अर्चना की जाए।

अविमुक्‍तेश्‍वरानंद ने कहा कि कोर्ट ने हमारे मुस्लिम भाइयों की भावना का ख्याल रखा है और नमाज पढ़ने से मना नहीं किया है। उसी तरह से हम हिंदुओं की भावना को भी समझना चाहिए था कि हमारे भगवान वहां भूखे-प्यासे कैसे रहेंगे। अब विवाद तो पैदा हो गया है, हम कह रहे हैं कि शिवलिंग है, वो लोग कह रहे हैं कि शिवलिंग नहीं है, लेकिन जो लोग कह रहे थे शिवलिंग है उनको भगवान की पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि जब भगवान हमारी आंखों के सामने दिख गए हैं, तब तो हमारा पूजा करना फर्ज बनता है। शिष्टाचार है, शास्त्र नियम है। इस बात का ध्यान न्यायालय को रखना चाहिए था। जो नहीं रखा गया। अब हम अपनी भावनाओं को पूरा करने का प्रयास न्याय की परिधि में रहते हुए करेंगे।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि ‘शास्त्रों में भगवान शिव के अतिरिक्त अन्य ऐसे कोई देवता नहीं है, जिनके सिर से जलधारा निकलती हो। जो मनुष्य सनातन संस्कृति को न जानते, भगवान शिव के स्वरूप एवं उनके माहात्म्य को नहीं जानते वे किसी के सिर से पानी निकलते हुए देखकर उन्हें फव्वारा ही तो कहेंगे। मुसलमान भगवान शिव को नहीं जानते और न ही उनको मानते हैं। इस्लाम में देवता आदि की परिकल्पना दूर-दूर तक नहीं है। ऐसे में वे भगवान शिव को फव्वारा नाम से कहकर स्वयं यह सिद्ध कर दे रहे हैं कि वे ही भगवान शिव हैं।’

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमारे शास्त्रों में अनेक अवसर ऐसे आए हैं, जहां पर भगवान के प्रकट होने का वर्णन मिलता है। उन्होंने कहा कि भगवान सर्वत्र व्याप्त रहते हैं, लेकिन सर्वत्र पूजा नहीं होती है, जहां प्रकट हो जाते हैं, वहां पूजा होती है। और जब प्रकट हो जाते हैं, तब से पूजा शुरू हो जाती है। उन्होंने कहा कि जब हमारी आंखों के सामने वो दिख गए और हमको दिखाई दिया साक्षात ज्योर्तिंलिंग विराजमान है तो हमारा ये दायित्व बन जाता है कि उनकी हम पूजा-आरती करें। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में भी कहा गया है कि लोगों की धार्मिक आस्था का ख्याल रखा जाए, अगर वो किसी में बाधा नहीं बन रहा हो तो हमारी पूजा से किसी को बाधा नहीं हो रही। हमको पूजा करने की इजाजत मिलनी चाहिए।

राम जन्मभूमि पैरवी मामले को लेकर अविमुक्‍तेश्‍वरानंद ने कहा कि शंकराचार्य की तरफ से रामजन्मभूमि मामले की पैरवी हम ही करते थे। एक महीने लखनऊ की कोर्ट में बैठकर गवाही प्रत्यक्षदर्शी के रूप में हमने दी है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जो समझौता-वार्ता चला था, उसमें हमने ही मुस्लिम भाइयों के साथ किया था। उन्होंने कहा कि जब रामजन्मभूमि का मुकदमा कोर्ट में चल रहा था। तब अयोध्या में भगवान रामलला की पूजा हो रही थी। ऐसी नहीं है कि पूजा को रोक दिया गया था। ठीक उसी तरह से काशी में भी पूजा होने दें, मुकदमा चलाते रहें। निर्णय कर दें।