इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई होगी। कोर्ट वजुखाना के एएसआई सर्वेक्षण से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। मस्जिद परिसर में कथित तौर पर शिवलिंग जैसी संरचना को लेकर विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वजुखाना को सील कर दिया था। हिंदू पक्ष का आरोप है कि 2022 में इसके परिसर में एक शिवलिंग पाया गया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि यह एक फव्वारा है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हिंदू पक्ष
हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर में ‘वजुखाना’ क्षेत्र को खोलने के लिए साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बता दें कि सर्वे के दौरान 16 मई, 2022 को काशी विश्वनाथ मंदिर के बराबर में स्थित मस्जिद में एक संरचना पाई गई। इसे हिंदू पक्ष की ओर से “शिवलिंग” और मुस्लिम पक्ष द्वारा “फव्वारा” होने का दावा किया गया। पिछले साल 28 नवंबर को, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की ओर से भी एक बयान सामने आया जिसमें मस्जिदों और दरगाहों के संबंध में देश भर की अदालतों में विभिन्न दावों पर चिंता व्यक्त की गई।
एएनआई के मुताबिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा कि “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में शाही ईदगाह, मध्य प्रदेश में भोजशाला मस्जिद, लखनऊ में टीले वाली मस्जिद और संभल की जामा मस्जिद पर दावों के बाद अब ऐतिहासिक अजमेर दरगाह पर दावा किया गया है। कानून के प्रावधानों के बावजूद, अदालत ने विष्णु गुप्ता की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है और पक्षों को नोटिस जारी किए हैं।”
AIMPLB ने कहा कि अजमेर की एक सिविल अदालत ने एक याचिका स्वीकार कर ली है जिसमें आरोप लगाया गया है कि अजमेर दरगाह संकट मोचन महादेव मंदिर है। पिछले साल 22 अक्टूबर को वादी राखी सिंह द्वारा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित वज़ूखाना का एएसआई सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था।
