उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च में आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी सबसे ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए हरीश रावत ने अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से पंजाब के प्रभारी पद से हटने की पेशकश की है ताकि वह पूरी तरह से उत्तराखंड की राजनीति में ध्यान दे सकें। वहीं उत्तराखंड के जमीनी नेता महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की राज्य में सक्रियता ने इस पहाड़ी राज्य की राजनीति को दिलचस्प बना दिया।

भगत सिंह कोश्यारी कुमाऊं के ठाकुर बिरादरी से आते हैं। उनका प्रभाव कुमाऊं और गढ़वाल दोनों जगह है। उनकी भाजपा कार्यकर्ताओं पर सीधी पकड़ है। साथ ही वे जनमानस से जुड़े हुए हैं। इस समय उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भगत सिंह कोश्यारी के शिष्य हैं। जब भगत सिंह कोश्यारी 2001 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने थे तब धामी उनके मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष कार्य अधिकारी थे। माना जाता है कि कोश्यारी के सुझाव पर ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने विवादित बयानों के कारण चर्चित हुए तीरथ सिंह रावत को हटाकर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया।

कांग्रेस के हरीश रावत के कुमाऊं मंडल में प्रभाव को रोकने के लिए कुमाऊं के ठाकुर बिरादरी के युवा चेहरे धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया। धामी को उत्तराखंड की बागडोर संभाले तीन महीने होने वाले हैं और इन तीन महीनों मे धामी अपने राजनीतिक गुरु भगत सिंह कोश्यारी से तीन बार मिल चुके हैं। दो बार उन्होंने दिल्ली में जाकर कोश्यारी से शिष्टाचार भेंट की थी। मुख्यमंत्री बनने के बाद भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का आशीर्वाद लेने के लिए जब दो बार धामी दिल्ली पहुंचे तो भगत सिंह कोश्यारी महाराष्टÑ से दिल्ली आए और दोनों बार धामी ने उनसे भेंट कर राजनीतिक मार्गदर्शन लिया। धामी की केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात कराने में भी भगत सिंह कोश्यारी की अहम भूमिका रही।

भगत सिंह कोश्यारी की बेदाग छवि के कारण संघ परिवार और भाजपा हाईकमान भी उनका पूरा सम्मान करता है। आजकल कोश्यारी तीन दिन के देहरादून दौरे पर हैं। मुख्यमंत्री का अमला उनकी पूरी आवभगत में लगा है। कोश्यारी ने अपने राजनीतिक शिष्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सरकारी आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की। हरीश रावत को कांग्रेस ने उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया है। धामी और रावत दोनों कुमाऊं के ठाकुर हैं। हरीश रावत के राजनीतिक प्रभाव को कुमाऊं में कम करने के लिए कोश्यारी के शिष्य धामी को भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया। धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद कोश्यरी उत्तराखंड की राजनीति में तेजी से सक्रिय हुए हैं। उनकी पूरी टीम उत्तराखंड में धामी के साथ खड़ी है। कोश्यारी के देहरादून में मुख्यमंत्री से मुलाकात के अलावा उनके कई कार्यक्रम हुए। उनकी पुस्तक का विमोचन हुआ जिसमें मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार दिखाई दी।

भाजपा का प्रदेश संगठन भी कोश्यारी की आवभगत में लगा रहा। जब त्रिवेंद्र सिंह रावत या तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब कोश्यारी की उत्तराखंड में सक्रियता न के बराबर थी जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत भी कोश्यारी के शिष्य माने जाते थे। लेकिन जितना समर्पण धामी का अपने राजनीतिक गुरु कोश्यारी के प्रति है वैसा समर्पण त्रिवेंद्र सिंह रावत का उनके प्रति नहीं था। जहां त्रिवेंद्र सिंह रावत अक्खड़ स्वभाव के है वहीं धामी विनम्र और सरल स्वभाव के हैं। धामी अपने गुरु को लेकर भावुक भी हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद जब दिल्ली स्थित महाराष्टÑ सदन में कोश्यारी से पहली मुलाकात की थी तो वह साथ में राज्य के मुख्य सचिव और कई आला अधिकारियों को लेकर गए थे ताकि प्रशासन चलाने के गुर उनसे सीख सकें। धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद कोश्यारी पहली बार देहरादून के दौरे पर आए हैं।

उत्तराखंड में कोश्यारी की अत्यधिक सक्रियता से कांग्रेस को बेहद परेशानी हो रही है। कांग्रेस ने उनके लिए भेजे गए सरकारी हवाईजहाज को लेकर बवाल खड़ा कर दिया है। कांग्रेस सवाल कर रही है कि सरकार ने महाराष्टÑ के राज्यपाल कोश्यारी के उतराखंड दौरे के लिए आखिर कौन से मानकों के तहत सरकारी हवाईजहाज भेजा। उत्तराखंड कांग्रेस प्रवक्ता और गढ़वाल मीडिया प्रभारी गरिमा दसौनी ने सवाल किया है कि जो राज्य 70 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा हुआ है, उस राज्य के मुख्यमंत्री अपने राजनीतिक गुरु की आवभगत के नाम पर अनाप-शनाप खर्च कर रहे।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अगर महाराष्ट के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री के राजनीतिक गुरु हैं तो खुद मुख्यमंत्री अपनी जेब से खर्च करें या फिर भाजपा संगठन वहन करे। कांग्रेस को कोश्यारी की उत्तराखंड में सक्रियता इसलिए परेशान कर रही है कि कहीं कुमाऊं में कांग्रेस के नेता हरीश रावत का आगामी विधानसभा चुनाव प्रभावित न हो। कोश्यारी और रावत दोनों कुमाऊं के रहने वाले हैं। भाजपा के पास रावत की राजनीतिक काट के लिए कोश्यारी जैसा दिग्गज नेता है। भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हों लेकिन अगला विधानसभा चुनाव उत्तराखंड में ‘भगत दा’ बनाम ‘हरदा’ लड़ा जाएगा।