एक-दूसरे को मोटा कहकर चिढ़ाने और उसके बाद मारने की धमकी देने के विवाद में गुजरात हाईकोर्ट ने दो मुस्लिम युवकों को योगा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने दोनों आठ सप्ताह तक योगा कर गुस्से को शांत करने को कहा। इसके साथ ही पुलिस को निर्देश दिया गया कि इन दाेनों के लिए साइकोलॉजिकल काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए ताकि वे अच्छे आदमी बन सकें। वहीं, साइकोलॉजिस्टों ने विचार दिया कि इन दोनों के परिवारवालों की काउंसलिंग की भी जरूरत है।
अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, मोटापे पर कमेंट को लेकर 15 वर्षीय सरफराज अगहा ने 18 वर्षीय सुलेमान अंसारी को अपशब्द बोले और उसके साथ दुर्व्यवहार किया। दोनों लड़के गुजरात के वलसाड के रहने वाले हैं और यह घटना मस्जिद के बाहर हुई। इसके बाद नाबालिग सरफराज के पिता ने सुलेमान के पिता को मारने की धमकी दी।
सुलेमान के बयान के आधार पर पुलिस ने सरफराज और उसके पिता रफीक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और उनके उपर आईपीसी की धारा 323 और 504 लगाई। इसके बाद एक ही कॉलोनी में रहने की वजह से दोनों पार्टियां समझौते के लिए पहुंची और एफआईआर रद्द करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
यह याचिका हाईकोर्ट में जस्टिस जोकानी के समक्ष पहुंचा। उन्होंने दोनों बच्चों के गुस्सैल व्यवहार के पीछे की वजह के बारे में जानकारी मांगी। दोनों लड़के अपने अभिभावक के साथ 30 नवंबर को कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। यहां सरफराज ने कोर्ट को बताया कि सुलेमान उसे मोटा कहकर चिढ़ाया था। इस वजह से वह अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख सका और तुरंत सुलेमान के साथ दुर्व्यवहार कर दिया। जब सुलेमान से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि कथित तौर पर सरफराज के पिता ने उसे थप्पड़ मारा था।
सुलेमान ने कोर्ट में यह भी बताया कि 10 वीं कक्षा में फेल होने की वजह से उसने स्कूल जाना छोड़ दिया था। पढ़ाई में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है और वह अपने चाचा के व्यवसाय में हाथ बंटाता था। दोनों की बातें सुनने के बाद जज ने सरफराज के खिलाफ लगाए गए आरोपों को हटाने का निश्चय किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि सरफराज को गुस्सा नियंत्रण के लिए योगा करने की जरूरत है और सुलेमान को पढ़ाई पूरी करने की। इसके लिए कोर्ट ने वलसाड पुलिस स्टेशन के इस केस की जांच कर रहे अधिकारी को इसकी जिम्मेदारी दी। साथ ही तीन महीने में इसकी रिपोर्ट भी मांगी है।