गुजरात सरकार का एक फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसमें बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए टॉयर का पंक्चर सही करने की ट्रेनिंग देने का फैसला हुआ है। इस बाबत शासन ने बाल मेला आयोजन की तैयारी की है। जिसका आधिकारिक पत्र भी जारी किया गया है। सोशल मीडिया पर इस पत्र को लेकर लोग मौज ले रहे हैं। कह रहे हैं कि पकौड़ा के बाद अब पंक्चर बनाना सरकार सिखाने जा रही है।
दैनिक भाष्कर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में खबर के पीछे शासन की ओर से जारी आदेश का हवाला दिया गया है। जिसके मुताबिक कक्षा पांचवी तक के प्राथमिक स्कूलों में बाल मेला और जूनियर हाईस्कूल यानी छठीं से आठवीं कक्षा वाले स्कूलों में जीवन-कौशल मेले का आयोजन होगा। जीवन-कौशल मेले के तहत कई चीजें जूनियर हाईस्कूल के छात्रों को सिखाई जाएंगी। इसमें टायर का पंक्चर बनाना, फ्यूज बांधना, कील लगाने, कुकर बंद करने आदि की ट्रेनिंग दी जाएगी।

इस पत्र को लेकर सोशल मीडिया पर लोग मौज ले रहे हैं। सतीश मुख्तलिफ ने गुजरात मॉडल हैशटैग के साथ फेसबुक पर तंज कसते हुए लिखा-आखिर चाय, पकौड़ा और पान के बाद गुजरात में छठीं से आठवीं क्लास के बच्चों को पंक्चर बनाना सिखाया जाएगा। निशा सिंह यादव ने इसे स्कूली शिक्षा का गुजरात मॉडल बताते हुए मौज ली, कहा-पढ़ेगा इंडिया, तभी बढ़ेगा इंडिया, पान बेचो, पकौड़े का ठेला लगाओ और अब नया पंक्चर बनाओ।

