प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5,00 व 1,000 रुपए के पुराने नोट बंद करने की वजह से ट्रांसपोर्ट का धंधा खासा मंदा हो गया है। फसल गोदामों में पड़े-पड़े सड़ जा रही है। गुजरात के वडोदरा जिले में पद्रा तालुका में हजारों टन बैंगन और लौकी प्लास्टिक के बैग्स में पैक होकर डिस्पैच करने के लिए पड़ी है। यह माल मुंबई और दिल्ली भेजा जाना है, वेंडर्स ने मांग में कमी के चलते अपने ऑर्डर्स कैंसिल कर दिए हैं। पद्रा की APMC (एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी) 90 गावों के करीब 900 काश्तकारों से माल लेती है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और गुजरात के बड़े शहरों में 90 से 10 टन सब्जियां सप्लाई की जाती है। वेजिटेबल्स ट्रेडर्स एसोसिएशन, पद्रा के अध्यक्ष दिनेश गांधी कहते हैं, ”यह पीक सीजन है और हम सिर्फ दिल्ली और मुंबई में ही करीब 100 टन सब्जियां सप्लाई करते हैं, लेकिन पिछले सप्ताह भर में हमें मुंबई के वेंडर्स से कोई ऑर्डर्स नहीं मिले है। उन्होंने करीब 60 टन के ऑर्डर कैंसिल कर दिए हैं। बैंगन पहले ही भेजे जा चुके हैं, लेकिन हमें उन्हें बीच में ही नष्ट करना पड़ा क्योंकि कीमत 1 रुपए से भी नीचे आ गई थी।”
नवंबर के साथ ही बैंगन मार्केट में आने शुरू हो जाते हैं। शुरुआत में, कीमतें 6 से 7 रुपए प्रतिकिलो थीं, मगर नोटबंदी के बाद मार्केट में कैश की कमी से कीमतें 1 रुपए तक गिर गईं। दो बीघा में बैंगन की खेती करने वाले कनु माली कहते हैं, ”इस दाम के साथ मैं अपने खेत से बाजार तक फसल ले जाने की लागत भी नहीं वसूल पा रहा हूं। इसके अलावा मजदूरी और बैग का खर्चा भी है। हमें हर दिन बैंगन तोड़ने पड़ते हैं नहीं तो वे पेड़ को खराब कर देंगे। हम अब इन्हें कंपोस्ट के तौर पर खेतों में इस्तेमाल कर रहे हैं।”
पद्रा के बाहरी इलाके में, 1.5 बीघा खेत में बैंगन उगाने वाले मेलाभाई माली कहते हैं, ”मैंने 30,000 रुपए का निवेश किया था, इसमें बीच, खाद और सिंचाई शामिल थी। हर दो या तीन दिन में, हम बैंगन तोड़ते हैं। पिछले 10 दिन से, कोई मांग नहीं है और दाम 1 रुपए प्रतिकिलो हैं। मैं जितना बेच सकता हूं, बेच रहा हूं और न बिकने वाला स्टॉक डंप कर रहा हूं।”
पद्रा APMC के सचिव अल्पेश पटेल ने कहा, ”पिछले एक सप्ताह से, मुंबई और दिल्ली के वेंडर्स ने हमारे उत्पाद खरीदने बंद कर दिए हैं। पद्रा मार्केट में, सब्जियों का बहुत स्टॉक है। इसलिए हमने किसानों की मीटिंग बुलाई और बैंगन को कंपोस्ट करने को कहा। हमें उनसे सिंचाई करने को मना कर दिया और पौधों के लिए खाद मुहैया करा रहे हैं ताकि अगले कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जाए।”