गुजरात में पिछले तकरीबन दस वर्षों से लापता एक ग्रामीण के बारे में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। अब उसके पाकिस्तानी जेल में बंद होने का पता चला है। पड़ोसी गांव का एक अन्य व्यक्ति भी पाकिस्तान की जेल में बंद था। उसके छूट कर वापस आने के बाद एक दशक से लापता गुजराती ग्रामीण के पड़ोसी देश के जेल में बंद होने की जानकारी मिली। हालांकि, केंद्र सरकार को उसके पाकिस्तानी जेल में बंद होने के बारे में पिछले चार वर्षों से जानकारी थी। लेकिन, राष्ट्रीयता की पुष्टि नहीं होने के कारण उन्हें अब तक भारत वापस नहीं लाया जा सका। उसे पाकिस्तानी अदालत ने पांच साल कैद की सजा सुनाई थी जो अक्टूबर, 2016 में ही पूरी हो चुकी है। भारत में हर साल दर्जनों लोग मछली पकड़ने या रास्ता भटकने के कारण सीमा पार चले जाते हैं। हालांकि, ऐसे लोगों को समय-समय पर रिहा भी किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक, इस्माइल (52) कच्छ जिले के एक सीमावर्ती गांव का निवासी है। उनकी पत्नी कामाबाई समा करीमा (49) को तीन महीने पहले पति के जीवित होने की सूचना मिली थी। पशुओं को चराने का काम करने वाला इस्माइल 28 अगस्त, 2008 को अचानक से गायब हो गया था। पड़ोस के गांव का रफीक जाट पाकिस्तान की जेल से छूट कर आया है। उसने करीमा को इस्माइल के पाकिस्तानी जेल में बंद होने की जानकारी दी थी। उसे अक्टूबर 2017 में रिहा गया था। समा करीमा उस दिन को याद करते हुए कहती हैं, ‘जब मेरे पति घर नहीं लौटे तो हमने उन्हें आसपास के कई गांवों में तलाश किया था, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल सका था। उनके रास्ता भटक कर पाकिस्तान चले जाने की बात कही गई। मैं इसके बाद कभी भी उनका नाम नहीं सुनी। रफीक के पाकिस्तानी जेल से वापस आने के बाद उनके बारे में पता चला।’ समा करीमा को संदेह है कि या तो इस्माइल पश्चिमी कच्छ जिले के खवाड़ा के समीप रास्ता भटक कर पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए थे या फिर पड़ोसी देश के सुरक्षाबलों ने उन्हें अगवा कर लिया था। मालूम हो कि इस्माइल का नाना दिनारा गांव जिला मुख्यालय भुज से 80 किलोमीटर, जबकि पाकिस्तान से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पाकिस्तान-इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी से जुड़े आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता जतिन देसाई ने अर्जी दाखिल की थी। पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग ने बताया कि इस्माइल को 7 फरवरी, 2014 को कांसुलर एक्सेस मुहैया कराई गई थी। इसके बाद मार्च, 2014 में गृह मंत्रालय से उसकी राष्ट्रीयता की पुष्टि करने को कहा गया था। केंद्र ने गुजरात के गृह विभाग को इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद जिला, तहसील, ब्लॉक और गांव स्तर पर इसकी सूचना जारी करवाई गई थी, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका था। इस्माइल को अक्टूबर, 2011 में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी।