गुजरात के मोरबी में रविवार (30 अक्टूब 2022) को हुए भयावह केबल ब्रिज हादसे में 135 लोगों की मौत से वकील समाज सदमे में है। पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना और एकजुटता दिखाते हुए मोरबी के वकीलों ने बुधवार को एक मौन जुलूस निकाला। इस दौरान सभी अधिवक्ताओं ने तय किया कि वे घटना में अब तक गिरफ्तार सभी नौ आरोपियों में से किसी के भी केस नहीं लड़ेंगे। मोरबी की अदालत ने मामले में चार आरोपियों को शनिवार तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया है और पांच को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

इन नौ आरोपियों में से दो ओरेवा ग्रुप के हैं। ओरेवा ग्रुप बिजली उपकरण बनाने वाली गुजरात की एक कंपनी है। गुजराती नव वर्ष के दिन स्थानीय नगरपालिका को बिना बताए मोरबी में कथित तौर पर सस्पेंशन ब्रिज खोलने के बाद ओरेवा ग्रुप जांच के घेरे में है। पुलिस हिरासत में रखे गये चारों आरोपियों में से दो ओरेवा कंपनी के मैनेजर हैं और दो अन्य निर्माण ठेकेदार के लिए काम करने वाले हैं। मोरबी के वकीलों ने कहा कि इन नौ आरोपियों में से किसी के भी केस वे नहीं लड़ेंगे।

मोरबी बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता एसी प्रजापति ने कहा, “मोरबी बार एसोसिएशन और राजकोट बार एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव पारित किया है।” कहा, “एसोसिएशन के सभी वकील त्रासदी से बहुत दुखी हैं। नैतिकता के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। हम पुल गिरने में कई निर्दोष लोगों के मारे जाने के बाद, अदालत में किसी भी आरोपी का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे।”

कुछ वकीलों ने फैसले का किया विरोध, कहा- खाप पंचायत के बजाए पेशेवर रुख रखें

हालांकि दूसरी तरफ कुछ वकीलों ने इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि हमारा काम पेशेवर कर्तव्यों का निर्वाह करना है। वकील हमजा लकड़वा ने केस नहीं लड़ने वाले वकीलों के बारे में कहा कि वे खाप पंचायत की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “बार एसोसिएशन का काम कानून के शासन को बरकरार रखना और यह सुनिश्चित करना होता है कि अधिवक्ता उत्पीड़न के डर के बिना अपने पेशेवर कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। वह कानून और वकीलों के साथ खड़ा होता है। लेकिन इससे दूर मोरबी बार एसोसिएशन अराजक भीड़ या खाप पंचायत की तरह काम कर रहा है।”

रिपोर्टों के अनुसार बचाव पक्ष के वकीलों में से एक ने तर्क दिया था कि यह ईश्वर का कार्य है और इसीलिए आरोपी की गिरफ्तारी सही नहीं है। मोरबी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष दिलीप ने कहा, “अदालत के अंदर आरोपी ने दुर्घटना को ईश्वर का कृत्य बताया, लेकिन दर्ज प्राथमिकी के अनुसार यह आपराधिक लापरवाही का मामला है न कि ईश्वर का कृत्य।”