गुजरात जमीन विवाद के मुद्दे पर हमला जारी रखते हुए कांग्रेस ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य के मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान सभी सरकारी जमीनों के आवंटन के मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली एक एसआईटी के गठन की मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दिल्ली में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली एसआईटी जांच के दायरे में सरकारी जमीनों के ऐसे सभी आवंटन होने चाहिए जो आनंदीबेन पटेल के राजस्व मंत्री और मोदी के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए किए गए।’’
शर्मा ने आरोप लगाया कि मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात में सरकारी जमीन और वन भूमि की ‘‘लूट’’ हुई, क्योंकि वे नियम-कायदों का पालन किए बगैर ‘‘कारोबारी साथियों’’ एवं अन्य को ‘‘कौड़ियों के भाव’’ दे दिए गए ।
बताया जाता है कि गुजरात सरकार ने 2010 में रिसॉर्ट बनाने के लिए गिर सिंह अभयारण्य के पास की 250 एकड़ जमीन डब्ल्यूडब्ल्यूआरआरपीएल (वाइल्डवुड्स रिसॉर्ट्स एंड रिएलिटीज प्राइवेट लिमिटेड) को महज 15 रूपए प्रति वर्ग मीटर यानी 60,000 प्रति एकड़ की कीमत पर दे दी।
शर्मा ने इस मुद्दे पर मोदी से ‘‘बेदाग निकलने’’ के लिए कहा। शर्मा ने मोदी से यह भी जानना चाहा कि जब तत्कालीन राजस्व मंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल से करीबी व्यापारिक रिश्ते रखने वाली कंपनी को गिर सिंह अभयारण्य के पास की सरकारी जमीन दी जा रही थी तो क्या उस वक्त उन्हें आनंदीबेन के ‘‘स्पष्ट हितों के टकराव’’ के बारे में पता था।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘क्या यह आवंटन कैबिनेट के किसी फैसले पर आधारित था? क्या इसकी मंजूरी तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने दी थी? क्या हितों के टकराव, यदि कोई था, का खुलासा किया गया था?’’