गुजरात के लोकप्रिय लोकनृत्य और नवरात्रि के दौरान सेलिब्रेट किए जाने वाले गरबा के कमर्शियल आयोजनों के एंट्री पास पर राज्य सरकार ने इस साल से 18 फीसदी जीएसटी लगाने का ऐलान किया था। जिसको लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार (5 जुलाई, 2022) को नौ दिवसीय नवरात्रि उत्सव के तहत गुजरात के प्रमुख शहरों में आयोजित होने वाले ‘गरबा’ कार्यक्रमों के लिए प्रवेश पास पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को वापस लेने की मांग की।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमित चावड़ा ने कहा, ‘गुजरात के लोग बहुत गुस्से में हैं। बीजेपी ने हिंदुओं के आशीर्वाद से सरकार बनाई है और अब सरकार गरबा पर टैक्स लगाकर पैसा कमाना चाहती है, जो एक हिंदू परंपरा है और गुजरात की पहचान और गौरव है। बीजेपी गरबा पर टैक्स लगाकर गुजरात की पहचान मिटाना चाहती है।’ गुजरात आम आदमी पार्टी (आप) इकाई ने इसे वापस लेने की मांग की है। साथ ही राज्य के गृह मंत्री से माफी की मांग की है।

गुजरात सरकार ने गरबा आयोजनों पर 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए दावा किया है कि पहले पारंपरिक नृत्य कार्यक्रम के लिए प्रवेश पास पर वैट और सेवा कर लगाया जाता था।

गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा, ‘गरबा हमारी परंपराओं और संस्कृति से जुड़ा है। अगर टिकट की कीमत 500 रुपये से ज्यादा है तो ऐसे आयोजनों पर जीएसटी लगता है। हालांकि, जीएसटी से पहले भी ऐसे आयोजनों पर वैट और अन्य कर थे’।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात आप नेता इसुदान गढ़वी ने कहा, “गुजरात के गृह मंत्री और सीआर पाटिल को माफी मांगनी चाहिए। सीआर पाटिल महाराष्ट्रियन हैं, इसलिए गरबा पर टैक्स लगता है। यदि वे क्रिकेट लीग खेलों पर जीएसटी लागू करते हैं तो अगले 50 वर्षों तक गरबा पर जीएसटी की कोई आवश्यकता नहीं होगी। यह गुजरात के लोगों का अपमान है।’

बता दें, यूनाइटेड वे ऑफ बड़ौदा नाम का एनजीओ, गुजरात में गरबा इवेंट आयोजित करने के लिए जाना जाता है। इसके वेबसाइट के मुताबिक 9 दिन के लिए पुरुषों के एंट्री पास की कीमत 4,838 रुपये है, जिसमें 4100 रुपए एंट्री फीस और 738 रुपए (18%) जीएसटी है। जबकि महिलाओं को एंट्री के लिए 1298 रुपये देने होंगे, इसमें 198 रुपये जीएसटी शामिल है।