सड़क हादसों में हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। तमाम नियमों-कानूनों को लागू करने और ऐहतियात बरतने के बावजूद दुर्घटनाओं पर रोक काबू नहीं पाया जा सका है। गलत ढंग से ड्राइविंग, सड़कों की खराब हालत और बेतहासा बढ़ते वाहनों की संख्या हादसों में इजाफे की वजह बन रही हैं। गुजरात में पिछले तीन वर्षों के दौरान सड़क हादसों में 21,000 से अधिक लोग मारे गए, जबकि 46,000 से अधिक घायल हुए हैं। राज्य के गृह विभाग द्वारा बुधवार को विधानसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2020 तक पिछले तीन वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं में 21,529 लोगों की मौतें हुई हैं और 46,146 लगातार घायल हुए हैं।

गृह विभाग की ओर से बताया गया कि सड़क हादसों में हताहतों की संख्या चिंताजनक हैं। हालांकि सरकार इनको नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही है। हादसों में सबसे ज्यादा 1,257 लोगों की सूरत के ग्रामीण क्षेत्रों में मौतें हुईं। इसके बाद अहमदाबाद शहर का नंबर है, जहां 1,075 लोगों ने जानें गंवाई, वलसाड में 998, बनासकांठा में 971, वडोदरा-ग्रामीण में 947, अहमदाबाद-ग्रामीण में 923, भरुच जिले में 917 और सूरत शहर में 808 लोग हताहत हुए।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खेडा जिले में दुर्घटनाओं में कम से कम 2,349 लोग घायल हुए, इसके बाद सूरत शहर में 2,175, भरूच में 1,801, गांधीनगर में 1,794, गोधरा में 1,726 और वडोदरा ग्रामीण में 1,722 लोग घायल हुए।

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, जिनके पास गृह विभाग भी है, ने कहा कि उनके विभाग ने दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें सड़कों से अतिक्रमण हटाना, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, गति सीमा के बारे में अधिसूचना जारी करना और शहरों में स्कूल वैनों आदि की नियमित जांच करना शामिल हैं