Gujarat Election: गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) ने कम से कम 20 सीटों पर मौजूदा और पूर्व विधायकों के बेटों को एक साथ मैदान में उतारा है। विपक्षी कांग्रेस ने ऐसे 13 और भारतीय जनता पार्टी ने सात ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, राजनीतिक दलों को कभी-कभी जीतने के लिए खुद को मजबूत स्थिति में रखने या उन निर्वाचन क्षेत्रों में विकल्प के अभाव में पूर्व या मौजूदा विधायकों के परिवार के सदस्यों को टिकट देने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में पार्टियों उन नेताओं के परिवार के सदस्यों को टिकट देती है, जिनका उस क्षेत्र में दबदबा हो और उनके पास कोई अन्य विकल्प ना हो।
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र त्रिवेदी ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों में कई ऐसे परिवार हैं जो राजनीति को अपनी विरासत मानते हैं। ऐसे परिवार अपनी-अपनी सीटों पर भारी प्रभाव डालते हैं और वे चुनावी नतीजों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पार्टियों को ऐसे नेताओं का विकल्प नहीं मिल रहा है, जिस वजह से वे इन नेताओं के करीबियों को टिकट देने के लिए मजबूर हैं। त्रिवेदी ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में ‘दबंग’ नेताओं के खिलाफ राजनीतिक दलों का कोई अन्य नेता खड़ा होने की हिम्मत नहीं करता।
उन्होंने कहा कि कुछ नेता लगातार चुनाव जीतते रहते हैं, ऐसे में उनकी पकड़ उस निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत हो जाती है और पार्टियां भी उनका विकल्प खोजने में विफल रहती हैं। यहां तक कि जब इन नेताओं की जगह किसी और को टिकट दिया जाता है, तो वो इनके परिवार का ही कोई सदस्य जैसे- बेटा, बेटी या पत्नी ही होते हैं। आइए जानते हैं गुजरात विधानसभा चुनाव में किन पूर्व और मौजूदा विधायकों के बेटों को मिला है टिकट-
- आदिवासी नेता और 10 बार के कांग्रेस विधायक मोहनसिंह राठवा पिछले साल बीजेपी में शामिल हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस के साथ अपने दशकों पुराने संबंध तोड़ दिए हैं। अब सत्तारूढ़ दल ने छोटा उदेपुर सीट से उनके बेटे राजेंद्रसिंह राठवा को मैदान में उतारा है। अब इस सीट पर राजेंद्रसिंह और कांग्रेस उम्मीदवार संग्रामसिंह राठवा का मुकाबला होगा। संग्रामसिंह राठवा पूर्व रेल मंत्री नारन राठवा के पुत्र हैं।
- वहीं, अहमदाबाद जिले की साणंद सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक कानू पटेल को फिर से उम्मीदवार बनाया है। कानू पटेल कांग्रेस के पूर्व विधायक करणसिंह पटेल के बेटे हैं। हालांकि, करणसिंह पटेल 2017 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
- थसरा से बीजेपी ने योगेंद्र परमार को उम्मीदवार बनाया है, जो दो बार के विधायक रामसिंह परमार के पुत्र हैं। रामसिंह परमार ने 2017 में पार्टी छोड़ने से पहले 2007 और 2012 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन वे भाजपा उम्मीदवार से हार गए थे।
- अहमदाबाद की दानिलिमदा सीट से कांग्रेस के दो बार के विधायक शैलेश परमार पूर्व विधायक मनुभाई परमार के बेटे हैं। आगामी चुनाव के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर शैलेश पर भरोसा जताया है।
- ऐसे ही एक और उम्मीदवार, दो बार के विधायक महेंद्रसिंह वाघेला, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला के पुत्र हैं। महेंद्रसिंह पिछले महीने कांग्रेस में फिर से शामिल हुए थे और पार्टी ने उन्हें बायड सीट से मैदान में उतारा था। उन्होंने 2012 और 2017 के बीच कांग्रेस विधायक के रूप में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था, लेकिन 2019 में वह भाजपा में चले गए और पिछले महीने ही वह फिर से कांग्रेस में लौट आए।
- कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अमरसिंह चौधरी के बेटे तुषार चौधरी को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट बारडोली से मैदान में उतारा है। उन्होंने 2004-09 के बीच मांडवी और 2009 से 2014 तक बारडोली के सांसद के रूप में कार्य किया।
- इसी तरह पोरबंदर सीट से बीजेपी के पूर्व सांसद (दिवंगत) विठ्ठल रडाडिया के बेटे जयेश रडाडिया को बीजेपी ने जेतपुर से मैदान में उतारा है। हालांकि, उन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में जेतपुर निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। जयेश और उनके पिता ने 2013 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, 2017 के चुनावों में जयेश रडाडिया ने बीजेपी के टिकट पर जेतपुर सीट जीती थी।