Uniform Civil Code In Gujarat: गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने शनिवार को राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की। कमेटी हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में बनेगी। राज्य कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।
राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने आज कैबिनेट की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। बैठक में समान नागरिक संहिता के लिए एक समिति का गठन करने का फैसला हुआ है। गुजरात में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के मूल्यांकन के लिए एक पैनल गठित करने की घोषणा की। इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के अपने फैसले की घोषणा की थी।
जानिए क्या है यूनिफार्म सिविल कोड
समान नागरिक संहिता (यूनिफार्म सिविल कोड) का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम होने चाहिए। यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा, फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। इसके लागू होने पर शादी, तलाक, जमीन जायदाद के बंटवारे सभी में एक समान ही कानून लागू होगा, जिसका पालन सभी धर्मों के लोगों को करना जरूरी होगा। बता दें, भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर यूनिफॉर्म सिविल लागू करने का वादा किया था।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अल्पसंख्यक विरोधी कदम बताया
कई राजनीतिक नेताओं ने यूनिफार्म सिविल कोड का समर्थन करते हुए कहा है कि इससे देश में समानता आएगी। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने इसे एक असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी कदम करार दिया है, और कानून को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकारों द्वारा ध्यान हटाने का प्रयास करने के लिए बयानबाजी कहा है। बोर्ड ने कहा कि सरकार को महंगाई, अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी की चिंता नहीं है।
गौरतलब है कि केंद्र ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वह संसद को देश में समान नागरिक संहिता पर कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकता है। कानून और न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि नीति का मामला जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों को तय करना है और इस संबंध में केंद्र द्वारा कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता है।