गुजरात इलेक्ट्रिसिटी सरप्लस स्टेट है। यहां के सभी 18,000 गांव बिजली ग्रिड से जुड़े हुए हैं। इसके बाद भी राज्य के 23 सरकारी प्राथमिक स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है। राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में यह जानकारी दी। प्रश्नकाल के दौरान गुजरात सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य के 27 जिलों के सभी सरकारी और निजी प्राथमिक स्कूलों में बिजली की आपूर्ति है, जबकि छह जिलों के 23 स्कूलों में बिजली की आपूर्ति नहीं है। ऐसे नौ प्राथमिक सरकारी स्कूल गिर सोमनाथ जिले में और सात पोरबंदर में हैं। इसके अलावा मोरबी में 3, कच्छ में 2, सुरेंद्रनगर और देवभूमि द्वारका के एक-एक स्कूलों में बिजली की आपूर्ति नहीं है।

इन स्कूलों में बिजली आपूर्ति क्यों नहीं हो पा रही है? इसका कारण राज्य सरकार ने नहीं बताया। सूबे में 37,000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन क्षमता है। इसकी प्रति व्यक्ति बिजली की औसत खपत 2,143 यूनिट है। यह राष्ट्रीय औसत खपत 1208 यूनिट से लगभग दोगुनी है।

कांग्रेस ने साधा निशाना

इसके अलावा, राज्य सरकार के 5,439 प्राथमिक स्कूलों और निजी क्षेत्र के 272 स्कूलों के परिसर की घेराबंदी के लिए कोई दीवार नहीं है। बनासकांठा (692 स्कूल) में ऐसे स्कूलों की संख्या सबसे अधिक है। कांग्रेस ने स्कूलों की अव्यवस्था को लेकर भूपेंद्र पटेल की सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने कहा, “राज्य सरकार राज्य के हर घर और हर गांव को बिजली ग्रिड से जोड़ने का दावा करती रही है, लेकिन 23 सरकारी प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां बिजली की आपूर्ति नहीं है। सरकार शिखर सम्मेलन आयोजित करा सकती है, पर उसके पास स्कूलों के लिए परिसर की दीवार बनाने के लिए पैसे नहीं हैं।”

19,128 कक्षाओं की कमी

राज्य विधानसभा को सोमवार को यह भी बताया गया कि गुजरात में सरकार के प्राथमिक स्कूलों में 19,128 कक्षाओं की कमी है। दाहोद और पंचमहल के जनजातीय जिलों में सबसे ज्यादा क्रमशः 1,688 और 1,209 कक्षाओं की कमी है। इसके बाद बनासकांठा में 1,532 कक्षाओं की कमी है।