केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ (एसएजीवाइ) के तहत सांसदों की ओर से व्यय की जाने वाली राशि के बराबर राशि का अनुदान देने पर विचार कर रहा है। इसका मकसद ताकि सांसदों को गांवों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। पहले इस योजना में धन की कमी की शिकायतें आ रही थीं।

ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने केंद्रीय बजट पेश होने के एक दिन बाद मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बताया, ‘हम बराबर अनुदान मुहैया कराने की व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं। हमें देखना होगा कि क्या हमारा मंत्रालय सांसदों की ओर से किए जाने वाले योगदान के बराबर अनुदान दे सकता है।’ सिंह ने कहा कि वह सांसदों को बराबर का अनुदान मुहैया कराने के मुद्दे पर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से संपर्क करेंगे।

केंद्र सरकार ने अक्तूबर 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना नाम की ग्राम विकास परियोजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत हर सांसद को 2019 तक तीन-तीन गांवों को गोद लेकर उसमें भौतिक और संस्थागत आधारभूत संरचना विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, योजना के दूसरे चरण में संसद के दोनों सदनों के करीब 790 सांसदों में से सिर्फ 34 सांसदों ने गांव गोद लिए हैं।

पहले चरण में 699 सांसदों ने ऐसा किया था। इस योजना को लेकर उदासीनता के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि दूसरे चरण की समय सीमा अक्तूबर 2016 है। तब तक लोगों को इंतजार करना चाहिए।

सांसदों की एक बड़ी शिकायत यह रही है कि चूंकि इस योजना के लिए अलग से धन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, ऐसे में उन्हें मौजूदा सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि या स्थानीय संसाधन उत्पादन के जरिए इसे लागू कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।