चुनाव आयोग (Election Commission) ने शिवसेना की कमान एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को सौंप दी है। एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह मिल गया है। इसके बाद अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या शिवसेना भवन (Shivsena Bhavan) पर भी शिंदे गुट दावा ठोकेगा।
मुंबई के दादर (Dadar in Mumbai) में सेना भवन का स्वामित्व शिवई ट्रस्ट के पास है, जिसे ठाकरे परिवार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह पार्टी के नाम पर नहीं है। इससे पहले भी उद्धव ठाकरे ने कहा था कि शिंदे गुट के पास शिवसेना भवन पर दावा करने का कोई मौका नहीं है।
शिवसेना भवन की स्थापना 1974 में हुई थी। बाल ठाकरे द्वारा शिवसेना की स्थापना के लगभग आठ साल बाद सेना भवन की स्थापना हुई थी। इस बीच शिंदे गुट जिसे अब असली शिवसेना के रूप में जाना जाएगा, उसने भी स्पष्ट किया कि वे सेना भवन पर दावा नहीं करेंगे।
शिंदे गुट के एक नेता ने कहा, “जब शिवसेना भवन और शिवसेना शाखाओं पर दावा करने की बात आती है तो इसमें कानूनी पेंच होते हैं। भवन ट्रस्ट का है न कि पार्टी का इसलिए हम इस पर दावा नहीं करेंगे। हालाँकि शाखाएँ अलग-अलग लोगों के स्वामित्व में हैं। जबकि कुछ शाखाएँ पार्टी के नाम पर हैं। कुछ अन्य शिवसेना नेताओं के नाम पर हैं। कोई भी कदम उठाने से पहले इन सभी पर विचार किया जाएगा।”
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिंदे गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर (Deepak Kesarkar) ने शिवसेना भवन पर दावे की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते।
वहीं उद्धव ठाकरे गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा है कि इस सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए हैं, वो पानी कहां तक पहुंचा है ये दिख रहा है। राउत ने कहा, “हमें परेशान होने की जरूरत नहीं है और पब्लिक हमारे साथ है। हम नए चुनाव चिन्ह के साथ जाएंगे और जनता की अदालत में एकबार फिर से शिवसेना को खड़ा करेंगे। देश में लोकतंत्र बचा ही नहीं है। सब गुलाम बनकर बैठे हैं, ये लोकतंत्र की हत्या है।”