Supreme Court Granted Bail: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2002 में हुए गोधरा ट्रेन कोच बर्निंग केस (Godhra Train Coach Burning Case) में उम्रकैद (Life Imprisonment) की सजा काट रहे एक अभियुक्त (Convict) को गुरुवार को जमानत दे दी। अदालत ने उसे इस आधार पर जमानत दी कि वह 17 साल जेल में रह चुका है। 27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस (Sabarmati Express) के कोच नंबर एस-6 में आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिससे राज्य में दंगे भड़क उठे (Triggered Riots) थे।

सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरसिम्हा की पीठ ने दी Bail

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) की पीठ (Bench) ने दोषियों में से एक फारूक (Faruk) की ओर से पेश वकील की दलील पर ध्यान दिया कि उसे अब तक की अवधि को देखते हुए जमानत दी जाए। अब भी कई दोषियों की सजा के खिलाफ अपील शीर्ष अदालत में लंबित है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह “सबसे जघन्य अपराध ” था

गुजरात सरकार (Gujarat Government) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि यह “सबसे जघन्य अपराध (Heinous Offence)” था, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था और दोषियों की अपील जल्द से जल्द सुनने की जरूरत है।

फारूक समेत कई अन्य लोगों को साबरमती एक्सप्रेस के कोच पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था। मेहता ने कहा कि आमतौर पर पथराव करना मामूली प्रकृति का अपराध होता है। हालांकि, इस मामले में ट्रेन के कोच को बंद कर दिया गया था और यात्रियों को बाहर निकलने से रोकने के लिए पथराव किया गया था। उन्होंने कहा कि फायर टेंडर पर भी पत्थर फेंके गए थे।

क्या था गोधरा कांड

27 फरवरी 2002 को गुजरात में स्थित गोधरा शहर में अयोध्या से लौटे कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच को बाहर से बंद कर कुछ लोगों ने उसमें आग लगा दी थी। इस घटना में 59 लोग जलकर मर गये थे। वारदात के बाद पूरे गुजरात में दंगा भड़क उठा था। गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था।