गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की तबीयत इन दिनों कुछ ठीक नहीं है। मंगलवार (20 नवंबर) शाम उनके घर के बाहर विपक्षी दलों के नेताओं समेत सैकड़ों लोगों की भीड़ ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मार्च निकाला। वे लोग बीमार सीएम से इस्तीफे की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने इसके अलावा पर्रिकर की जगह पर पूर्णकालिक सीएम को नियुक्त करने की बात पर बल दिया। ‘पीपल्स मार्च फॉर रीस्टोरेशन ऑफ गर्वनेंस’ के बैनर तले लोगों ने लगभग एक किमी तक मार्च निकाला था। साथ ही उन्होंने पर्रिकर को अल्टीमेटम देते हुए 48 घंटों में पद से हटने को कहा।
कांग्रेस के अलावा इस प्रदर्शन में अन्य राजनीतिक दल भी थे, जिसमें शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना शामिल रहीं। मार्च में इनके अलावा कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संस्थाओं ने भी हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पर्रिकर बीमार चल रहे हैं, लिहाजा उन्हें सीएम पद छोड़ देना चाहिए। नौ माह से अधिक समय से उनका इलाज चल रहा है, जिसकी वजह से राज्य का शासन तंत्र प्रभावित हो रहा है। हालांकि, घटना के दौरान पुलिस ने मार्च को सीएम के निजी निवास स्थल से 100 मीटर पहले ही भीड़ को रोक दिया था।
स्थानीय पत्रकारों को डिप्टी कलेक्टर शशांक त्रिपाठी ने बताया, “सीएम बीमार थे, लिहाजा उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मिलने से इन्कार कर दिया।” वहीं, प्रदर्शनकारियों की तरफ से सामाजिक कार्यकर्ता व विरोध मार्च का नेतृत्व करने वाले एरीज रॉड्रीग्स ने सीएम को खुली चुनौती देते हुए 48 घंटों में पद छोड़ने के लिए कहा। बकौल रॉड्रीग्स, “हमें पूर्णकालिक सीएम की जरूरत है। पिछले नौ महीनों से राज्य का प्रशासन पंगु नजर आ रहा है। सीएम अपने खुद के मंत्रियों व विधायकों तक के मुलाकात नहीं कर रहे।”
रॉड्रीग्स ने यह भी कहा कि मार्च में शामिल लोग सीएम के स्वास्थ्य का हाल-चाल जानने भी आए थे। पर उन्होंने इतना साफ कर दिया कि अगर सीएम ने 48 घंटों के भीतर पद न छोड़ा, तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा। शिवसेना गोवा इकाई के मुखिया जितेश कामत ने कहा, “गोवावासी सीएम के जल्द से जल्द ठीक होने की कामना कर रहे हैं। पर इसका मतलब ये नहीं कि है राज्य का तंत्र ठप्प हो जाए।” बता दें कि खराब तबीयत के कारण 62 वर्षीय पर्रिकर 14 अक्टूबर से निजी आवास पर हैं। वह इससे पहले नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे, जहां उनका इलाज चल रहा था।

