यूपी के गाजीपुर जिले के एक पूर्व थानाध्यक्ष और एक कांस्टेबल समेत पांच लोगों को स्थानीय अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायालय ने सात साल की सजा सुनाई है। इन पर आरोप है कि 28 वर्ष पहले सरकारी स्कूल के साठ वर्ष के एक रिटायर्ड प्रधानाचार्य को झूठे केस में फंसाकर पिटाई की, अपमानित किया और कई दिन तक थाने में बंद रखा। अदालत ने यह आदेश निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई के बाद दिया। निचली अदालत ने आरोपियों को सबूतों के अभाव में 2014 में बरी कर दिया था।पीड़ित रिटायर्ड प्रधानाचार्य कुबेर नाथ सिंह जिले के घरिया गांव के रहने वाले हैं।

आरोपी प्रधानाचार्य और कांस्टेबल रिटायर हो चुके हैं :  सरकारी वकील राजेश सिंह ने बताया, “अदालत ने मर्दाह थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी मंसूर अहमद काज़ी सहित पांच लोगों को मामले में दोषी ठहराया है। उन्हें शुक्रवार को हिरासत में ले लिया गया। सभी पांचों आरोपी जमानत पर बाहर थे। मंसूर अहमद के अलावा इनमें पुलिस कांस्टेबल श्याम नारायण सिंह और तीन स्थानीय पारस नाथ सिंह, सुरेश सिंह और पीयूष कांत सिंह शामिल हैं। शुक्रवार को सभी पांच आरोपियों को अदालत में लाया गया। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश दुर्गेश ने उन्हें सात साल की सजा सुनाई और जुर्माना भी लगाया।” उन्होंने बताया कि आरोपी थानाध्यक्ष मंसूर अहमद और कांस्टेबल श्याम नारायण सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

14 अप्रैल 1991 का है मामला : राजेश सिंह ने बताया, “पारस नाथ सिंह, सुरेश सिंह और पीयूष कांत सिंह की प्रधानाचार्य कुबेरनाथ सिंह से दुश्मनी थी। योजना के अनुसार तीनों ने उनसे बदला लेने के लिए एक मामले में उनकी पिटाई करने, अपमानित करने और झूठे तरीके से फंसाने के लिए पुलिस वालों का पक्ष लिया।” पीड़ित पक्ष के वकील संजय राय के मुताबिक मामला 14 अप्रैल 1991 का है। तत्कालीन थानाध्यक्ष मंसूर अहमद को सूचना मिली कि घरिया गांव में भूमि विवाद में पारस नाथ सिंह और अनिल सिंह के बीच मारपीट हुई है। मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष मंसूर अहमद ने कथित रूप से ग्रामीणों को गालियां देनी शुरू कर दी। कुबेर नाथ सिंह ने इसका विरोध किया तो नाराज पुलिस ने उनको अपनी गाड़ी में बैठा लिया। पुलिस ने पारस नाथ को भी साथ ले लिया।

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पुलिस वालों पर सड़क पर पिटाई करने का आरोप : राय ने बताया कि “पुलिसकर्मियों ने गाड़ी को रास्ते में रोकी और कुबेर नाथ को बेरहमी से मारा पीटा। इससे उन्हें गंभीर चोटें आईं। बाद में उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया। इसके बाद पुलिस ने पारस नाथ और अनिल सिंह से शिकायत लेकर एक क्रॉस एफआईआर भी दर्ज करा दी। एफआईआर में यह उल्लेख किया गया कि कुबेर नाथ को पारस नाथ और अनिल सिंह के बीच झड़प के दौरान चोटें आईं।”

छपरा यूनिवर्सिटी के कुलपति के पिता हैं पीड़ित प्रधानाचार्य : उन्होंने बताया कि कुबेर नाथ सिंह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में रीडर डॉ. हरिकेश सिंह के पिता हैं। डॉ. हरिकेश सिंह ने राज्य सरकार के पास एक शिकायत दर्ज कराई और आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनके पिता की पिटाई की और मामले में उन्हें झूठा फंसाया। हरिकेश उस समय BHU शिक्षक संघ के अध्यक्ष भी थे। वे अब बिहार में जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति हैं।