पांच दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण जिले की घाघरा व राप्ती नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है। एक सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से पानी बढ़ने के कारण घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान के नजदीक है। भागलपुर में घाघरा 65.337 मीटर पर बह रही है। वाराणसी के छित्तुपुर में रेग्युलेटर के नीचे मिट्टी काटकर पानी तेजी से रिसाव करने लगा है, जिससे जमुआर नाला भरने लगा है। तटवर्ती खेतों में भी पानी घुसने लगा है और फसलें डूब रही हैं। भदीला और धनया गांव बाढ़ में डूबते जा रहे हैं।

घाघरा और राप्ती का जलस्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है। एक पखवाड़े पहले घाघरा सामान्य हो गई थी क्योंकि पहाड़ों से आने वाला पानी थम गया था। इस बीच कई स्थानों पर तटबंधों में कटान होने लगा है। बाढ़ व सिंचाई विभागों की लापरवाही उजागर होने के बाद भी बांधों की मरम्मत का काम शुरू नहीं किया गया। लगातार बारिश के कारण घाघरा और राप्ती नदी का जलस्तर फिर से बढ़ रहा है। बाढ़ की आशंका से बरहज, भागलपुर व रुद्रपुर के कछार के तटवर्ती गांवों में रहने वाले ग्रामीण डरे हुए हैं। दोआबा क्षेत्र होने के कारण जिले की रुद्रपुर तहसील बाढ़ आने पर सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। 1988 में रुद्रपुर में राप्ती व गोर्रा नदी का कछार क्षेत्र बाढ़ में डूब गया था जिससे ग्रामीणों का भारी नुकसान हुआ था।

इसके बाद करोड़ों रुपए खर्च करके तटबंधों को मजबूत करने का काम हुआ, लेकिन सब कागजी साबित हुआ। बीते पांच दिनों से लगातार हो रही बारिश ने तटबंधों की दुर्दशा की कलई खोल दी है। तंटबंधों की ऐसी दशा देखकर कछार के लगभग 58 गांवों के निवासियों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं। बीते तीन सालों से बंधों की मरम्मत नहीं की गई है। राप्ती में 17 किमी लंबे बांध के 4 किमी पर गायघट का बंधा चार बार कट चुका है, फिर भी अभी तक उसकी मरम्मत नहीं हो सकी है। बोल्डर की पिंंिचंग भी तमाम जगहों पर टूटकर बाधों को नुकसान पहुंचा रही है। बोल्डर जगह-जगह धंस भी गए हैं, जिससे बांध खोखला दिखाई देने लगा है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि बांध की सुरक्षा व पुुनर्निर्माण के लिए प्रशासन और विभाग ने पिछले वर्षों में कई कार्य योजनाएं बनार्इं, लेकिन उस पर अभी तक अमल नहीं किया गया।