बिहार में गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन को सहरसा जेल से गुरुवार (27 अप्रैल, 2023) को रिहा कर दिया गया है। एक जेल अधिकारी ने जानकारी दी कि सुबह 4 बजे आनंद मोहन को रिहा कर दिया। बिहार सरकार द्वारा हाल ही में रिहाई के नियमों में किए गए बदलाव के बाद 27 कैदियों को रिहा किया गया, जिनमें आनंद मोहन भी शामिल हैं। 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या के मामले में आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।

क्यों सुबह 4 बजे हुई रिहाई

आनंद मोहन को 16 साल बाद जेल से रिहाई मिली है। आज सुबह 4 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया था। डीएम की हत्या के मामले में वह आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। वह अपने बेटे की सगाई के लिए पैरोल पर बाहर आए थे और बुधवार को उन्होंने सरेंडर कर दिया। इसके बाद आज सुबह उनकी रिहाई कर दी गई। जेल प्रशासन ने रिहाई के लिए सुबह 4 बजे का समय इसलिए चुना क्योंकि उन्हें लग रहा था कि आनंद मोहन की रिहाई के दौरान भारी भीड़ जेल के सामने जमा हो सकती है। बुधवार रात को ही सारे कागजी काम पूरे कर लिए गए थे।

पीड़ित परिवार ने जताई नाराजगी

वहीं, पीड़ित परिवार ने आंनद मोहन की रिहाई पर नाराजगी जताई है। जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा, “जनता आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करेगी, उसे वापस जेल भेजने की मांग करेगी। उसका रिहा करना गलत फैसला है। सीएम को इस तरह की चीजों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। अगर वह (आनंद मोहन) भविष्य में चुनाव लड़ेगा तो जनता को उसका बहिष्कार करना चाहिए। मैं उसे (आनंद मोहन) वापस जेल भेजने की अपील करती हूं।”

इससे पहले जी कृष्णैया की बेटी पदमा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, “आनंद मोहन सिंह का आज जेल से छूटना हमारे लिए बहुत दुख की बात है। सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। मैं नीतीश कुमार जी से अनुरोध करती हूं कि इस फैसले पर दोबारा विचार करें। इस फैसले से उनकी सरकार ने एक गलत मिसाल कायम की है। यह सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है। हम इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।”

जेल मैनुअल में बिहार सरकार ने क्या बदलाव किया?

बिहार सरकार ने इसी महीने की 10 तारीख को जेल मैनुअल में बदलाव किया था। इसमें एक खंड को मैनुअल से हटा दिया गया था। यह खंड सरकारी अधिकारियों की हत्या में सजा काट रहे दोषी को अच्छे व्यवहार को देखते हुए रिहाई से रोकता था।

26 अन्य कैदी भी हुए रिहा

पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा 14 साल से अधिक समय से बिहार की विभिन्न जेलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 26 कैदियों को भी रिहा किया गया है। गोपालगंज के डीएम रहे दलित आईएएस अधिकारी कृष्णैया को 1994 में भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर मार डाला था, जब उनका वाहन मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहा था। इस दौरान, आनंद मोहन भी मौके पर मौजूद थे। वह मुजफ्फरपुर में खूंखार गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।

पीड़ित परिवार से मिलना चाहता है आनंद मोहन का परिवार

इस बीच आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने पीड़ित परिवार से मिलने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि अधिकारी जी. कृष्णैया के परिवार से पूरी सहानुभूति है और उन्होंने काफी दुख उठाया है। उन्होंने कहा कि वह पीड़ित परिवार से मिलना चाहते हैं।