Makar Sankranti Fair And Ganga Sagar: गंगासागर (Ganga Sagar) मेले की तैयारियां जोरों पर है। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर स्नान पर जुटने वाली भीड़ को कोई दिक्कत न हो, इसका ख्याल रख बड़े पैमाने पर तैयारियां चल रही हैं। तैयारियों का जायजा लेने खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2 जनवरी को गंगासागर आ रही है। ब्लू और सफेद रंग पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal) यानी मुख्यमंत्री का पसंदीदा रंग है। सड़कों पर लगी ग्रिल और सरकारी इमारतों यहां तक कि पानी जहाजों को भी ब्लू-सफेद रंग से रंगने का काम अंतिम दौर में है।

लिलुआ के तृणमूल कांग्रेस पार्टी (TMC) के नेता सुमित सिंह कहते है कि ममता दीदी भी ब्लू पाड़ की सफेद साड़ी ही पहनती है। उन्हें यह पसंद है। उनकी घोषणा है कि जो निजी मकान भी ब्लू-सफेद से रंगवाएगा, उनके मकान की टैक्स में रियायत दी जाएगी।

जल, मिट्टी और अंतरिक्ष में भी मोक्ष का फल

खैर जो हो, गंगासागर स्नान महाकुंभ स्नान के बाद दूसरा महत्वपूर्ण स्नान माना जाता है। यहां जल, मिट्टी और अंतरिक्ष में भी मोक्ष मिलती है। सनातन धर्म के पुराणों में यहां स्नान का अलग महत्व बताया गया है। यहां गंगा उत्तराखंड के गौमुख से निकल कर सागर में मिली है। यहां सागर और गंगा का मिलन स्थान है। इसलिए मिलन तीर्थ के नाम से भी बंगाल के वाशिंदें जानते है। कई जगहों पर बंगाली भाषा में जनसत्ता संवाददाता ने लिखा देखा। यहां कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के पोस्टर और कांग्रेसी झंडे लगे है। असल में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी दो रोज पहले ही यात्रा कर गए है। ऑटो ड्राइवर नूर आलम बताते है। हालांकि इन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। दस सदस्यों के परिवार का पेट पालने की इन्हें ज्यादा चिंता है। इनकी मुख्य आमदनी का जरिया तीर्थ यात्री ही है।

कोलकाता से करीब 130 किमी है गंगासागर

सारे तीर्थ बारबार गंगा सागर एक बार-यह बात यहां का दौरा करने के बाद समझ में आती है। दरअसल यह पौराणिक मान्यता एक हद तक सही थी। इलाके का मुआयना करने पर पाया कि तमाम सुविधाओं के बावजूद शारीरिक परेशानियां तो अभी भी है। फिर भी पहले के मुकाबले कुछ भी नहीं है। कहीं से भी ट्रेन या दूसरे साधन से हावड़ा पहुंचने के बाद बस से या निजी वाहन से डायमंड हार्बर होकर (24 परगना) पहुंचा जा सकते है। वहां से स्टीमर पकड़ने के लिए टोटो से जा सकते है। स्टीमर से आधे घंटे की यात्रा कर कचुवेडिया पहुंचा जा सकता है। वहां से ऑटो या वस या निजी वाहन से 30 किलोमीटर गंगासागर पहुंच सकते है। वहां गंगा सागर के मिलन स्थल पर स्नान कर कपिलमुनि आश्रम (मंदिर) जाकर उनके दर्शन कर सकते है। यही सुलभ तरीका है। कोलकता से करीबन 130 किमी की यात्रा है एक तरफ से, लेकिन संकरी सड़क की वजह से छह घंटे लग जाते है। स्टीमर तक पहुंचने के लिए हावड़ा से सुगम और चौड़े रास्ते की जरूरत है।

स्कंद पुराण में बताई गई है गंगा सागर की महत्ता

कपिलमुनि विष्णु के पांचवें अवतार के तौर पर जाने जाते है। इनका आश्रम का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है। यहां सागर के साठ हजार पुत्रों को गंगा के जल से मोक्ष प्राप्ति हुई थी। उन्हें कपिलमुनि का ही श्राप दिया हुआ था। यहां अब सीमेंट और टाइल्स जड़े मंदिर बन चुका है। जो लाखों लोग दर्शन-पूजा करने पहुंचते है। यह मंदिर अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंतों की देखरेख में है। हेमंत दासजी अभी यहां के प्रमुख है। मंदिर के पास ही कपिल वाटिका, सरोवर और दुकानें बनी है। यहां ठहरने के कई स्थान बने है। कोलकता व्यावसायिक संघ की ओर से ठहरने और भोजन की मुफ्त व्यवस्था है।

पश्चिम बंगाल सरकार इस तीर्थ पर बहुत ध्यान दे रखी है। सुविधाओं की वजह से सालों भर यात्री स्नान, दर्शन-पूजन के लिए आते है। आठ-दस स्टीमर रात दिन मकर संक्रांति पर यात्रियों को उस पार और इस पार लाते और ले जाते है। स्टीमरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। स्टीमर चालक अमित कुमार बताते है। पहले मकरसंक्रांति के मौके पर ही तमाम व्यवस्था की जाती थी। इसलिए कहा गया सारे तीर्थ बारबार गंगा सागर एक बार।

कोलकता से स्नान करने आए रामगोपाल शर्मा और इनकी पत्नी शांति देवी बताती है कि स्नान कर मन को शांति मिली। ये यहां की व्यवस्था से संतुष्ट दिखे। गंगासागर घाट पर और तीर्थ घाटों के बनिस्वत ठगने वाले कम मिले। भिक्षाटन के लिए यहां भी भीड़ दिखी। गरीबी तो है। तीर्थ यात्रियों के मन में दया भाव ही इनका पेट पाल रही है। सामाजिक कार्यकर्ता सुमित सिंह कहते है गरीबी पूरे देश में है। सामाजिक आर्थिक विषमता यहां भी है।

मकर संक्रांति के मद्देनजर बिजली का पुख्ता इंतजाम किया गया है। बिजलीयुक्त तोरण द्वार यात्रियों के स्वागत के लिए बने है। एक नंबर जेटी का स्टीमर चालू है। चार नंबर जेटी को स्टीमर चलाने को तैयारी चल रही है। गुरुवार को पीडब्ल्यूडी के अधिकारी दिन रात लगे दिखे। गाड़ियों की पार्किंग के लिए एक नम्बर जेटी पर जाने के बाएं तरफ खुले मैदान में बनाई गई है।

जगह जगह पीने के पानी की नल लगाई गई है। स्वास्थ्य केंद्र खोले जा रहे है। सुरक्षा के इंतजाम पुख्ता किया जा रहा है। हिफाजत के लिए स्टीमर की सवारी करने के लिए अलग-अलग पांच पुल बनाए गए है। ताकि भगदड़ न हो। भीड़ इक्कठी न हो। सेना के सैकड़ों जवान तैनात करने वास्ते पहुंच चुके है। मकरसंक्रांति पर 25 लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान है। बीते साल इतने ही करीब का सरकारी आंकड़ा है।