करीब 11 साल से दक्षिण मुंबई में 800 वर्ग फीट का अपार्टमेंट खाली पड़ा है। बता दें कि इस फ्लैट का मंथली किराया सिर्फ 64 रुपए है। दरअसल इस फ्लैट के खाली होने की वजह है कि यह केवल एक पारसी पुलिस अधिकारी ही यहां रह सकता है।

मुंबई पुलिस का क्या है कहना: मुंबई के पुलिस अधिकारियों के मुताबिक 60 साल पहले पारसी समुदाय ने समुदाय से संबंधित पुलिस अधिकारी के लिए ताड़देव में स्लीटर रोड पर धुनजीबॉय बिल्डिंग की पहली मंजिल पर अपार्टमेंट आरक्षित किया था। इस भवन का स्वामित्व आर डी महालक्ष्मीवाला चैरिटी बिल्डिंग ट्रस्ट के पास है, जो एक पारसी ट्रस्ट है।

मुंबई पुलिस के साथ है समझौता: बता दें कि मुंबई पुलिस के साथ एक समझौते में ट्रस्ट ने बताया है कि अपार्टमेंट केवल एक पारसी पुलिस अधिकारी को रहने के लिए दिया जा सकता है। वहीं मुंबई पुलिस कमिश्नर को किराएदार के रूप में नामित किया गया था। बता दें कि इस फ्लैट में आखिरी बार एक सहायक पुलिस आयुक्त फिरोज गंजिया रहे थे। जो अपनी सेवानिवृत्ति के बाद कुछ वर्षों तक रहे थे। 2008 में उनके जाने के बाद से अपार्टमेंट खाली है। हालांकि कई पुलिस अधिकारी इस फ्लैट में रहना चाहते हैं लेकिन वो पारसी समुदाय से नहीं है इसलिए नहीं रह सकते। वहीं ट्रस्ट की ओर से मार्च 2019 में पुलिस को याद दिलाया गया था कि अपार्टमेंट खाली है।

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ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस का क्या है कहना: ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस संतोष रस्तोगी का कहना है कि- हमारे पास पुलिस विभाग में सिर्फ दो पारसी अधिकारी हैं। एक को हाल ही में प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया गया था जबकि एक को विशेष शाखा II के साथ जोड़ा गया था। हमने अधिकारी से पूछा कि क्या वह इस इमारत में जाना चाहते हैं, लेकिन जैसा कि उनके पास पहले से ही एक अपार्टमेंट है, उन्होंने शिफ्ट होने से इनकार कर दिया। इसलिए हमने इसे ट्रस्ट को सौंपने का फैसला किया है। गौरतलब है कि हाल ही में पिछले महीने अपार्टमेंट को ‘ई आवास सिस्टम’ के जरिए एक सहायक पुलिस आयुक्त को आवंटित किया गया था, जो हाल ही में कोल्हापुर से मुंबई ट्रांसफर हुए हैं। एसीपी विनायक नरले ने इस बारे में बताया- जब मैं वर्ली ऑफिसर्स मेस में रह रहा था तब मैंने ई-वेस सिस्टम के माध्यम से घर के लिए आवेदन किया, जिसके बाद यह घर मुझे आवंटित किया गया था। हालांकि मुझे रहने की इजाजत नहीं मिल पाई थी।

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आखिर क्यों नहीं एसपी को रहने दिया: ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस संतोष रस्तोगी ने बताया कि ई आवास के जरिए उनको वो फ्लैट मिला था जो एक गलती थी। चूंकि क्रॉस चैक करने पर सामने आया था कि ये वही अपार्टमेंट है जो समझौते में हैं। इसके साथ ही आर डी महालक्ष्मीवाला चैरिटी बिल्डिंग ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि उस फ्लैट में सिर्फ पारसी रह सकते हैं।