मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान अपनी शादी की सालगिरह मना रहे हैं। रविवार को दिन भर उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। इनमें भोपाल से बीजेपी प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल रहीं। शिवराज की शख्सियत की तरह ही उनकी लव-लाइफ और शादी के किस्से भी काफी मजेदार हैं। शुरू-शुरू में शिवराज सिंह चौहान आरएसएस से जुड़े और शादी नहीं करने का ऐलान कर दिया। उनके परिवार ने काफी दबाव भी बनाया, मगर उन्होंने ठान लिया था कि वह अविवाहित ही रहेंगे। परिवार में उनसे छोटे भाई-बहनों की शादी हो गई, लेकिन शिवराज कुंवारे ही रहे। हालांकि, एक दिन ऐसा आया जब उन्होंने साधना सिंह को देखा और अपना दिल दे बैठे। फिर क्या था, चिट्ठियों का आदान-प्रदान और छुप-छुपकर मिलने का दौर चला और बाद में दोनों ने शादी कर ली।

5 मार्च 1959 को सिहोर जिले के जैतगांव में जन्मे शिवराज 1972 में संघ से जुड़ गए थे। देश में लगे आपातकाल के दौरान वह 1976 से 1977 के बीच भोपाल जेल में भी रहे। इस दौरान अविवाहित शिवराज लोगों के बुनियादी जरूरतों को लेकर आंदोलन भी किए और 1990 में पहली बार विधायक बने और 1991 विदिशा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनकर संसद पहुंचे। लेकिन, उनकी जिदंगी में असल ट्विस्ट यहीं पर आया। शिवराज की बहन ने उन्हें गोंदिया में रहने वाली साधना सिंह से मिलने का आग्रह किया। काफी मान-मनौव्वल के बाद शिवराज मिलने के लिए राज हो गए। फिर क्या था साधना के घर पहुंचे और ही नज़र में उन्होंने अपना दिल दे दिया। मीडिया में छपे तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक एक नज़र देखते हुए उन्होंने शादी के लिए हां भी कर दिया।

साधना सिंह को देखने के बाद शिवराज ने उन्हें एक चिट्ठी लिखी और खुलकर अपने दिल की बात कही। उन्होंने साफगोई से बताया कि उनका जीवन राजनीति से जुड़ा है और दोनों को कब और किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक जीवन में सक्रिय होने के नाते दोनो का जीवन सामान्य पति-पत्नी की तरह नहीं रह सकता। तमाम व्यवस्तताओं की वजह से लंबे समय तक वह मिल भी नहीं सकेंगे। हालांकि, चिट्ठी लिखने के बाद दोनों छुप-छुपकर मिलते भी रहे। सबसे अच्छी बात कि शिवराज सिंह चौहान ने साधना को गुलाब का फूल देकर अपने इश्क का इजहार भी किया। इसके बाद दोनों ने 6 मई 1992 को शादी कर ली।