एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में सोमवार को एक विशेष अदालत ने असम लोक सेवा आयोग (APSC) के पूर्व अध्यक्ष राकेश कुमार पॉल और दो पूर्व सदस्यों को राज्य में कृषि विकास अधिकारियों (ADO) की भर्ती से जुड़े 2015 के कैश-फॉर-जॉब घोटाले में दोषी ठहराया। इसने 29 एडीओ को भी दोषी ठहराया, जिन्हें आयोग ने फर्जी तरीके से नियुक्त किया था। हालांकि सबूतों के अभाव में 11 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश दीपांकर ठाकुरिया ने कहा कि यह तय हो चुका है कि एपीएससी अधिकारियों ने फर्जी तरीके से चुने गए उम्मीदवारों के साथ साजिश करके “विशेष रूप से वास्तविक उम्मीदवारों और सामान्य रूप से सरकार को धोखा दिया।”
अदालत ने सजा की अवधि निर्धारित नहीं की और कहा कि वह सीआरपीसी की धारा 235 (2) के तहत सजा के सवाल पर दोषियों की सुनवाई के बाद ऐसा करेगी। दोषियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और बाद में उन्हें गुवाहाटी सेंट्रल जेल ले जाया गया।
पहली बार 2017 में सामने आया था घोटाला
80 एडीओ की भर्ती से जुड़ा यह घोटाला पहली बार 2017 में तब सामने आया था, जब चयनित न होने वाले उम्मीदवार बेदांता विकास दास ने गुवाहाटी के भंगगढ़ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। एफआईआर में दास ने आरोप लगाया कि उन्होंने स्क्रीनिंग टेस्ट पास कर लिया था और मौखिक परीक्षा के लिए उपस्थित हुए थे, लेकिन पॉल और उनके सहयोगी ने उनसे 15 लाख रुपये की रिश्वत मांगी।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 50,000 रुपये “अग्रिम” के रूप में दिए थे, लेकिन बाकी का भुगतान करने में असमर्थ थे। एफआईआर के अनुसार, दास ने आरोप लगाया कि उन्होंने मौखिक परीक्षा के अंकों के बारे में आरटीआई दायर की थी और पाया कि जिस उम्मीदवार का चयन किया गया था, मृगेन हालोई को अलग-अलग दस्तावेजों में अलग-अलग अंक मिले थे।
दास ने अपनी शिकायत में केवल पॉल, हालोई और एपीएससी के एक कर्मचारी मोसरफ हुसैन का नाम लिया था, लेकिन जांच के दौरान आरोपियों की संख्या बढ़कर 44 हो गई। इनमें पूर्व एपीएससी सदस्य समेदुर रहमान, बसंत कुमार डोले और बिनीता रिंझा, 35 अन्य एडीओ और तीन बिचौलिए शामिल थे। रिंझा बाद में सरकारी गवाह बन गई और उसने अदालत को बताया कि अन्य आरोपी एपीएससी सदस्यों और अध्यक्ष पॉल ने उस पर पैसे और उपहार के बदले में अंकों में हेरफेर करने का दबाव डाला था।
पॉल, रहमान और डोले को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं और धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश सहित आईपीसी की कई धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया, जबकि 29 एडीओ को धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के लिए दोषी ठहराया गया। अपने फैसले में, विशेष न्यायाधीश ठाकुरिया ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा यह स्थापित किया गया है कि पॉल, रहमान, डोले और रिंझा ने “विशेष रूप से वास्तविक उम्मीदवारों और सामान्य रूप से सरकार को धोखा दिया था, और उनके द्वारा बनाए गए सारणीकरण शीट में भी जालसाजी की थी।”
अदालत ने कहा, “सारणी शीट में अंक बढ़ाकर उन्होंने आरोपी उम्मीदवारों को गलत तरीके से लाभ पहुंचाया और अंक कम करके उन्होंने कुछ वास्तविक उम्मीदवारों को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया।”