अनूप चौधरी

सूरजकुंड मेले में देशी ही नहीं विदेशी भी अपने हुनर की छटा बिखेर रहे हैं। जांबिया, मिस्र, बुरुंडी व सुडान से आए कलाकारों ने प्रस्तुतियों से मेला देखने आए दर्शकों का मन मोह लिया। सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में गुरुवार को बड़ी चौपल पर विदेशी कलाकार जमकर थिरके। यही नहीं महाराष्ट्र के साथ गुजरात की लोक संस्कृति भी अपनी अलग छटा बिखेर रही है। हरियाणा के स्थानीय स्कूल के विद्यार्थियों ने भी बड़ी चौपाल को अपने हुनर से गुलजार किया।
जांबिया देश से आए लॉजी समूह के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति में अपने लोक नृत्य के साथ-साथ आग के जलते हुए शोलों को खाने का हैरतअंगेज प्रदर्शन किया। इस दल की प्रस्तुति ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। वहीं, सुडान के कलाकारों ने भारत-सुडान एकता का संदेश दिया। खुशहाली के प्रतीक सुडानी लोक नृत्य के दौरान कलाकारों की वेशभूषा पर भारत और सुडान के राष्ट्रीय ध्वजों की झंडियां नजर आईं। विदेशी कलाकार भी इस बार आध्यात्म को केंद्र में रखकर प्रस्तुति दे रहे हैं। बुरुंडी देश से आए कलाकारों ने अध्यात्म, धर्म, हर्षोल्लास और खुशी पर आधारित अपने पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी।

बुरुंडी के लोक वाद्यों की धुन व धुन के साथ उठते कलाकारों के पांव ने दर्शकों को भी हर्षोल्लास से भर दिया। बड़ी चौपाल के मंच से मिस्र के तंदुरा नृत्य की प्रस्तुति भी जोरदार रही चौपाल पर विदेशियों के साथ महाराष्ट्र और गुजरात ने देशी संस्कृति के जलवे बिखेरे। बड़ी चौपाल के पहले सत्र में महाराष्ट्र के कलाकारों ने अपने पारंपरिक पालकी नृत्य की प्रस्तुति दी। कलाकारों ने 80 किग्रा वजनी पालकी को उठाकर अपनी लोक संगीत लहरियों के साथ नृत्य किया।
केवल पुरुषों की ओर से किया जाने वाला यह नृत्य महाराष्ट्र के ग्रामीण जनजीवन में खूब लोकप्रिय है। वहीं, गुजरात से आए कलाकारों के दल ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के संदेश पर आधारित लोक नृत्य प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र और गुजरात के सांस्कृतिक दल को स्थानीय दर्शकों से खूब वाहवाही मिली।

फरीदाबाद के एपीजे स्कूल के बच्चों ने भगवान शिव पर आधारित नटराज नृत्य की प्रस्तुति दी। एक दर्जन से अधिक स्कूली छात्राओं ने प्रस्तुति से बड़ी चौपाल के मंच को भव्य बना दिया। वहीं अंबाला से आए हंसराज के तारा समूह के कलाकारों ने भी पंजाबी लोक गीतों की जोरदार प्रस्तुति दी। ढोलक, तुंबा, खंजरी, इकतारा से उठने वाली लहरियों के साथ पंजाबी बोली के गीतों पर दर्शक भी झूमते नजर आए। इतना ही नहीं बड़ी चौपाल में प्रस्तुति देने आए विदेशी दलों के कलाकारों ने भी इन प्रस्तुतियों का भरपूर लुत्फ लिया।