पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से मां बेला देवी धाम तक जाने वाली पद्मावत एक्सप्रेस में 17 दिसंबर देर रात A1 कोच में काफी कुछ हुआ 25 मिनट तक फायर अलार्म बजा, यात्रियों में अफरा-तफरी का माहौल था, हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया गया, लेकिन किसी रेल अधिकारी ने मदद नहीं की।

पद्मावत एक्सप्रेस एक दैनिक ट्रेन है, जो पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से मां बेला देवी धाम, प्रतापगढ़ तक चलती है। यह ट्रेन करीब 660 किलोमीटर की दूरी तय करती है और इस सफर में लगभग 12.5 घंटे का समय लगता है। लेकिन मंगलवार देर रात इसी पद्मावत एक्सप्रेस में हालात अचानक तनावपूर्ण हो गए।

बताया जा रहा है कि पद्मावत एक्सप्रेस के A-1 कोच में देर रात करीब 1:10 बजे फायर अलार्म बजने लगा। ट्रेन में बाकायदा अनाउंसमेंट भी हुई। रिकॉर्डेड आवाज में कहा गया कि कोच में आग लग गई है और ट्रेन को रोका जाएगा। यात्रियों से कुछ मिनट बाद एग्जिट करने के लिए तैयार रहने को कहा गया। अब ये अनाउंसमेंट ऐसे ही 25 मिनट तक होती रही, ट्रेन रुकी और यात्री पैनिक मोड में आ चुके थे। किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर करना क्या है। फायर अलार्म की वजह से चिंता थी, लेकिन ट्रेन का ना रुकना भी सवाल खड़े कर रहा था।

उसी AI कोच की यात्री आस्था गुप्ता से जनसत्ता ने जब बात की तो पूरा घटनाक्रम स्पष्ट हो गया। जनसत्ता से बात करते हुए आस्था ने कहा कि हमारी ट्रेन का नंबर था 14208। देर रात जब बरेली स्टेशन आने वाला था, अचानक से फायर अलार्म बजने लगा। एक महिला की रिकॉर्डेड अवाज कोच में सुनाई दे रही थी, हिंदी और इंग्लिश दोनों में कहा जा रहा था- आग लग गई है, शीघ्र ही ट्रेन रुकेगी, आप सभी उतरने के लिए तैयार रहें। रात का समय था, लोग सो रहे थे, ऐसे में पहले किसी को ज्यादा समझ नहीं आया, लेकिन जब लगातार अनाउंसमेंट होती रही, अलार्म बजता रहा तो सभी चौकने हो गए।

आस्था आगे कहती हैं कि कोच में मौजूद सभी यात्री काफी परेशान हो गए, खिड़की से बाहर देखा, लेकिन आग दिखाई नहीं दी। सभी को लगा कि अलार्म बज रहा तो कहीं तो आग लगी ही होगी। 25 मिनट तक ये सब कुछ चलता रहा, कुछ यात्री टीटी और अटेंडेंट को देखने भी गए, लेकिन कोई नहीं मिला, सभी गायब थे। मेरे बगल में एक दूसरे यात्री थे, उन्होंने रेलवे की हेल्पलाइन नंबर 139 पर कॉल किया। लेकिन वहां जब एक अधिकारी ने फोन उठाया तो बोला कि आप दूसरे नंबर पर कॉल करें, उसने खुद 139 पर ही कॉल करने को कहा। हमने बोला कि इसी नंबर पर तो कॉल किया है, लेकिन उतनी देर में कॉल ही डिस्कनेक्ट हो गई।

अब जब कहीं से मदद नहीं मिली तो एक दूसरे यात्री ने रेलवे सीट पर लिखे एक नंबर पर कॉल किया, वो नंबर था- 9219873763। चश्मदीद आस्था के मुताबिक इस नंबर पर कॉल करने पर किसी अधिकारी ने फोन तो उठाया, लेकिन वो भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहा था, बस डिटेल मांगता रहा, बाद में बोला कि किसी को मदद के लिए भेजते हैं। आस्था बताती हैं कि उस कॉल के काफी देर बाद एक अटेंडेंट कोच में आया, तब तक फायर अलार्म बंद हो चुका था।

आस्था के मुताबिक सभी यात्री आक्रोशित थे, उनका गुस्सा सातवें आसमान पर था। अटेंडेंट से पूछा गया कि आखिर कोच में हुआ क्या, 25 मिनट तक फायर अलार्म कैसे बजता रहा। सामने से अधिकारी ने जवाब दिया कि शायद कोई चूहा था, उसने सिगरेट जलाने की संभावना भी जता दी। अब यात्रियों गुस्सा इस बात का था कि अगर फायर अलार्म गलती से बजा तो क्या मदद करने के लिए कोई नहीं आएगा, अगर कोई यात्री हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करेगा तो क्या उन्हें मदद नहीं मिलेगी। ट्रेन में मौजूद दूसरे कुछ यात्रियों ने भी जनसत्ता से बात करते हुए इस बात पर गुस्सा जाहिर किया।

उनकी नाराजगी इस बात को लेकर रही कि रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के साथ समझौता किया है, उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर आग सच में लगी होती और ऐसे ही कोई मदद करने के लिए नहीं आता तो स्थिति कितनी भयावह हो सकती थी।