गाजीपुर जिले के एक कोर्ट के आदेश पर आईपीएस अधिकारी और चार पुलिस इंस्पेक्टर समेत 18 पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इस बात की जानकारी सूत्रों ने दी है। यह पूरा का पूरा मामला नौकरी से बर्खास्त किए गए हेड कांस्टेबल अनिल सिंह की किडनैपिंग से जुड़ा हुआ है। वह कथित तौर पर चंदौली पुलिस डिपार्टमेंट के अंदर भ्रष्टाचार की सच्चाई सबके सामने लेकर आ गया था। यह एफआईआर बुधवार को नंदगंज थाने में दर्ज की गई है।
समाचार न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, वाराणसी के भुल्लनपुर की शिव शंकर कॉलोनी में रहने वाले बर्खास्त हेड कांस्टेबल अनिल सिंह ने साल 2022 में आईपीसी की धारा 156(3) के तहत एक केस दर्ज कराया था। उसमें सिंह ने आरोप लगाया था कि चंदौली के पास एसपी समेत बड़े-बड़े पुलिस अधिकारी और चंदौली कोतवाली के बाकी पुलिसवाले हर महीने जनता से 12.5 लाख रुपये की उगाही कर रहे हैं। इतना ही नहीं सिंह ने यह भी कहा कि यह रकम आपस में बांट ली जाती है।
डीआईजी ने की जांच
इस दावे की जांच डीआईजी लव कुमार ने की और सभी आरोप एकदम सही पाए गए। इस खुलासे से गुस्साए चंदौली के तत्कालीन एसपी ने 28 फरवरी 2021 को अनिल सिंह को बर्खास्त कर दिया। सिंह ने यह भी दावा किया कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले कई लोगों की हत्या भी कर दी गई है। सिंह ने पांच सितंबर 2021 को दी गई शिकायत में यह भी कहा है कि तत्कालीन एसपी अमित कुमार और स्वाट टीम के इंस्पेक्टर राजीव कुमार सिंह, इंस्पेक्टर इन चार्ज अजित कुमार सिंह, एसएचओ सत्येंद्र विक्रम सिंह समेत पुलिस अधिकारियों के एक ग्रुप ने गाजीपुर के बधरा में उनके ससुराल से उनको किडनैप भी कर लिया।
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हत्या के इरादे से सादा कपड़ों में पहुंचे अधिकारी
सिंह का आरोप है कि ये अधिकारी उनकी हत्या करने के इरादे से बिना नंबर प्लेट वाली कार में सिंपल कपड़ों में ही वहां पर पहुंचे थे। हालांकि, सिंह की बेटी खुशबू सिंह ने किसी तरह से पुलिस को कॉन्टैक्ट किया। नंदगंज थाने के एसएचओ को मामले की जानकारी दी गई और इसके बाद ही उनकी जान बच पाई। सिंह का दावा है कि दो दिनों तक अवैध तरीके से हिरासत में रहने के बाद उन्हें एक फर्जी केस में फंसाया गया और 7 सितंबर 2021 को चंदौली के बबुरी थाने में एक फर्जी केस दर्ज किया गया है।
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कई धाराओं में दर्ज किया केस
सिंह ने गाजीपुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आवेदन दाखिल किया और सबूतों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने 21 सितंबर 2024 को इन आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने मामले की सही तरीके और गहनता से जांच करने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने आदेश के दो महीने बाद 27 नवंबर 2024 को गाजीपुर के नंदगंज थाने में आईपीसी की धारा 147 (दंगा), 219 (सरकारी कर्मी द्वारा कानून नहीं मानना), 220 (गलत तरीके से हिरासत में लेना), 364 (अपहरण), 389 (वसूली), 467 (धोखाधड़ी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) और 120बी (आपराधिक षड़यंत्र) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसवालों को नामजद किया गया है।
