नारीवाद यानी फेमिनिज्म (Feminism) और मी टू मूवमेंट (Me Too India) पिछले कुछ सालों से चर्चा के अहम मसलों में शुमार है। कुछ लोग इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में सकारात्मक कदम मानते हैं तो कुछ लोग इसे मुसीबत का सबब मानते हैं। कर्नाटक में इसे लेकर एक अनोखा मामला सामने आया है। दरअसल यहां एक संगठन ने पिछले दिनों नारीवाद को खत्म करने के लिए ‘पिशाचिनी मुक्ति पूजा’ का आयोजन किया। इसे ‘परिवार बचाओ आंदोलन’ बताकर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गई। इस कार्यक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर जबर्दस्त प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
फेसबुक पर जारी की गई विज्ञप्तिः इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 22 सितंबर 2019 को दोपहर साढ़े 12 बजे हुई इस पूजा के बाद फेसबुक पर प्रेस रिलीज भी शेयर की गई। ‘द स्पॉइल्ट मॉडर्न इंडिया वूमन’ नाम के फेसबुक पेज से जानकारी साझा की गई। इस रिलीज के कैप्शन में लिखा था, ‘आएं और इसके बारे में सोचें।’

40 एनजीओ ने मिलकर चलाई मुहिमः इसमें इस मुहिम को ‘भारती परिवार बचाओ आंदोलन’ नाम दिया गया। बताया जा रहा है कि इसे पारिवारिक सद्भाव और लैंगिक समानता के लिए काम करने वाले 40 एनजीओ ने मिलकर शुरू किया है। इनका कहना है कि इस तरह की विचारधारा ने देश में लैंगिक भेदभाव को घटाने की बजाय बढ़ाया है।
फेमिनिज्म-मी टू का पिंडदान भी किया गयाः रिलीज के मुताबिक पिशाचिनी मुक्ति पूजा में बाकायदा ‘फेमिनिज्म’ और ‘मी टू इंडिया’ का पिंडदान भी किया गया। इनका कहना है कि ‘मी टू’ आंदोलन भारत में लैंगिक समानता के लिए सकारात्मक की अपेक्षा नकारात्मक ज्यादा रहा। रिपोर्ट के मुताबिक यह आयोजन सिर्फ कर्नाटक में नहीं बल्कि इसी दिन देश के लगभग 50 अन्य स्थानों पर भी किया गया। बता दें कि इस कार्यक्रम के आयोजन का फैसला 11वीं अखिल भारतीय पुरुष महासभा में लिया गया था। सोशल मीडिया पर ‘फेमिनिज्म पिशाचिनी’ट्रेंड करने लगा।