समझौते को लागू न करने से खफा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के कर्मचारी पिछले एक महीने से आंदोलन की राह पर हैं। 27 मई को ये कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल करेंगे। 12 मई से वे नियमानुसार काम कर रहे हैं। नतीजतन सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर संकट मंडरा रहा है। आंदोलन के कारण अनाज राज्यों के गोदामों तक पहुंच ही नहीं पा रहा। इस सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। जिससे अनाज के बफर स्टाक पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है।

भारतीय खाद्य निगम कर्मचारी संघ के सचिव एसपी सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने उनके साथ लिखित समझौता कर जो मांगें मानी थीं, उन्हें भी पूरा नहीं किया। कर्मचारियों को भत्ता देने को निगम का प्रशासन तैयार नहीं, जबकि अधिकारियों को इसका लाभ दिया जा रहा है। कर्मचारियों की मुख्य मांगों में पेंशन योजना को लागू करना और सेवानिवृत्ति के उपरांत दी जाने वाली चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत बनाना है। यूपीए सरकार में खाद्य मंत्री रहे केवी थामस और मौजूदा खाद्य मंत्री रामविलास पासवान दोनों ने उनकी मांगों को वाजिब माना है। पर वित्त मंत्रालय की आपत्ति का बहाना बना कर उनके साथ अन्याय जारी है।

गौरतलब है कि देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटे जाने वाले राशन का प्रबंधन भारतीय खाद्य निगम ही करता है। राशन की ढुलाई रेल मार्ग से होती है। नियमानुसार काम करने से रेलवे स्टेशनों पर राशन से भरी वैगन देर तक खड़ी रहती हैं। नतीजतन ढुलाई कर राशन को स्टेशन से निगम के गोदामों तक पहुंचाने वाले ट्रांसपोर्ट ठेकेदार निगम के कर्मचारियों की बाट जोहते रहते हैं।

रेलवे स्टेशनों पर राशन से भरे वैगनों को तय समय-सीमा के भीतर खाली नहीं करने पर भारी जुर्माना (डैमरेज) लगता है। जाहिर है कि एक तरफ तो निगम पर डैमरेज का बोझ पड़ रहा है, दूसरी तरफ गोदामों तक राशन पहुंच ही नहीं पा रहा। आमतौर पर निगम के कर्मचारी चौबीस घंटे ड्यूटी पर रहते हैं क्योंकि रेल वैगन पहुंचने का कोई निर्धारित समय नहीं होता। उत्तर प्रदेश ट्रक आपरेटर्स फेडरेशन भी इन कर्मचारियों के समर्थन में कूद पड़ी है। फेडरेशन के प्रवक्ता पिंकी चिन्यौटी का कहना था कि सरकार इस आंदोलन को गंभीरता से नहीं ले रही। पर जल्द ही जब राशन के अनाज का देशभर में संकट पैदा होगा तो उसे पछताना पड़ेगा।

गोदामों में जरूरत के हिसाब से अनाज पहुंच ही नहीं पा रहा। कर्मचारियों की मांगों से सहमति जताते हुए चिन्यौटी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री, मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को पेंशन मिल सकती है तो फिर सरकारी सेवा में अपना जीवन खपा देने वाले निगम कर्मचारियों को पेंशन न देकर सरकार अन्याय क्यों कर रही है? नई पेंशन योजना को भी स्वीकार करने को तैयार हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय उनके साथ छह साल पहले हुए समझौते को लागू नहीं कर रहा। अन्य मांगों में तबादला नीति, मृतक आश्रित को नौकरी देना आदि हैं।

आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने अपने नियमानुसार काम करो, आंदोलन की मियाद 26 मई से बढ़ा कर 10 जून कर दी है। 27 मई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल होगी तो नौ और दस जून को फिर सारे देश में कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। सरकार ने फिर भी सुनवाई नहीं की तो आंदोलन के तीसरे चरण में 28 जून को निगम मुख्यालय पर बेमियादी हड़ताल शुरू की जाएगी। 29 जून से निगम कर्मचारी देश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।