पुणे के पुरंदर एयरपोर्ट (Purandar Airport) के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित मुआवजे की राशि से किसान सहमत नहीं है। किसानों को दी जा रही प्रति एकड़ 1 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकार्य नहीं है, उन्होंने और ज्यादा पैसे की मांग की है। किसानों की मांग है कि उन्हें रेडी रेकनर दर का पांच गुना प्रदान किया जाए।

पुणे के ज़िला कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सरकार को उम्मीद है कि पुरंदर हवाई अड्डे के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए नवंबर के अंत तक धनराशि का वितरण शुरू हो जाएगा। इसके लिए किसानों को प्रति एकड़ 1 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा, घरों, बोरवेल, पाइपलाइनों, वृक्षारोपण और ऐसी ही अन्य सुविधाओं के लिए उनके मूल्य का दोगुना मुआवज़ा दिया जाएगा। यह प्रस्ताव पिछले हफ़्ते पुरंदर के सात गांवों के प्रतिनिधियों के सामने रखा गया था जिन्होंने ज़्यादा मुआवज़े की मांग की थी। जिला कलेक्ट्रेट ने एक प्रेस नोट में कहा कि सरकार ने रेडी रेकनर (RR) दर का चार गुना प्रस्ताव दिया है जबकि किसानों की मांग है कि आरआर दर का पांच गुना प्रदान किया जाए।

Purandar Airport: 1 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर किसानों को स्वीकार्य नहीं

वहीं, मुंजावाड़ी के उपसरपंच तुषार झुरांगे ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया , “एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर किसी भी किसान को स्वीकार्य नहीं है। समृद्धि महामार्ग या पालकी मार्ग जैसी परियोजनाओं की तुलना में यह बहुत कम है। हमने कलेक्टर को कोई संख्या नहीं दी है लेकिन उनसे कहा है कि वे गाँवों में आकर हमारे साथ बैठक करें जिसके बाद हम कोई धनराशि तय करेंगे।”

पढ़ें- उड़ान भरने के लिए तैयार है जेवर एयरपोर्ट, जानिए किस तारीख को होगा उद्घाटन?

डीएम जितेंद्र डूडी ने एक बयान में कहा, “सरकार द्वारा 17 मार्च 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम 2013 के अनुसार उचित मुआवजा, पारदर्शिता एवं किसानों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा किसानों की मांगों पर सकारात्मक विचार कर उन्हें सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।” हवाई अड्डे के निर्माण के लिए सात गांवों एखतपुर, खानवाड़ी, कुंभारवालान, मुंजावाड़ी, परगांव, उदाचीवाड़ी और वनपुरी की भूमि अधिग्रहित की जा रही है।

पुरंदर हवाई अड्डा: सरकार ने जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को क्या दी है पेशकश

अब तक सरकार ने किसानों को यह पेशकश की है कि अधिग्रहित भूमि का 10% हिस्सा एमआईडीसी क्षेत्र में औद्योगिक/वाणिज्यिक/आवासीय या मिश्रित उद्देश्यों के लिए विकसित भूखंड होगा (न्यूनतम 100 वर्ग मीटर)। अगर मकान का अधिग्रहण किया जा रहा है तो एयरोसिटी में 250 वर्ग मीटर आवासीय भूखंड, अगर अधिग्रहण के दौरान कोई परिवार भूमिहीन हो जाता है तो उसे 750 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर नकद राशि दी जाएगी। साथ ही जो लोग छोटे भूमि धारक बन जाते हैं उन्हें 500 दिनों की न्यूनतम कृषि मजदूरी दी जाएगी, जिन परिवारों के मकान अधिग्रहित किए जाएंगे उनके लिए 40,000 रुपये का प्रवास अनुदान और अन्य लाभ दिए जाएंगे।

पढ़ें- पीएम आवास के पास तीन बस्तियों को मिला बेदखली नोटिस