कृषि कानूनों पर एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों के संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच छठे दौर की वार्ता आज यानी बुधवार को शुरू हुई। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश यहां विज्ञान भवन में 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर रहे हैं। इस बीच जब दोपहर के भोजन का समय हुआ तो किसानों ने अपने साथ लाए लंगर का खाना ही खाया।

खास बात है कि विज्ञान भवन में जब किसान लंगर का खाना लाइन में लग ले रहे तो तभी नरेंद्र तोमर और पीयूष गोयल भी वहां पहुंच गए। दोनों नेता प्लेट हाथ में लेकर लंगर की लाइन में लग गए और किसानों का भोजन ही ग्रहण किया। इसके बाद फिर दोनों पक्षों के बीच दोबारा वार्ता शुरू हो गई है। इससे पहले पिछली बैठक पांच दिसंबर को हुई थी। बता दें कि आंदोलन कर रहे किसान अपनी मांगों पर डटे हुए हैं कि केवल तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया और एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने समेत अन्य मुद्दों पर ही चर्चा होगी। उम्मीद है कि बैठक से कुछ सार्थक निकलेगा और किसानों की समस्या का समाधान हो सकेगा।

केंद्र ने सितंबर में लागू तीनों नए कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने के लिए ‘खुले मन’ से ‘तार्किक समाधान’ तक पहुंचने के लिए यूनियनों को 30 दिसंबर को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने मंगलवार को अपने पत्र में कहा था कि एजेंडा में तीनों विवादित कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के विषय को शामिल करना चाहिए।

छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को ही होने वाली थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और यूनियन के कुछ नेताओं के बीच बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकलने पर बैठक रद्द कर दी गई थी। शाह से मुलाकात के बाद सरकार ने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें नए कानून में सात-आठ संशोधन करने और एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने की बात कही थी। सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने से इनकार कर दिया था।

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान हैं। सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी और किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे। (एजेंसी इनपुट)