कृषि बिलों पर केंद्र के खिलाफ लगातार हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच मोदी सरकार ने एक बार फिर किसानों को बातचीत का न्योता दिया है। सरकार ने कृषि बिलों पर बातचीत के लिए पंजाब से कम से कम 31 किसान संगठनों और उनके नेताओं को 14 अक्टूबर को दिल्ली बुलाया है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में सबसे अधिक प्रदर्शन देखने को मिले हैं।
मोदी सरकार ने कृषि सचिव संजय अग्रवाल के नेतृत्व में एक टीम से बातचीत का प्रस्ताव रखा है, जिसमें दस अक्टूबर को किसान नेताओं के निमंत्रण पर हस्ताक्षर किए थे। किसान संगठनों ने इससे पहले पिछले सप्ताह केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा 8 अक्टूबर को उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए आयाजित बैठक में भाग लेने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया था।
संगठनों ने कहा कि उन्होंने बैठक में भाग नहीं लिया क्योंकि सरकार ने कहा था कि किसानों कृषि कानूनों को गलत समझा लिया। ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) के समन्वयक अविक साहा ने कहा कि हम किसान कानून और उसके पीछे की मंशा को अच्छी तरह समझते हैं। यही वजह है कि हमने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया।
Bihar Election 2020 Live Updates
AIKSCC ने साफ कर दिया है कि जब तक किसानों की प्रमुख मांगें पूरी नहीं होती, बैठक में भाग नहीं लिया जाएगा। भारत किसान यूनियन (राजेवाल) के बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हम अपनी मांगों का पत्र तैयार कर रहे हैं जिसे जल्द ही जारी कर दिया जाएगा।
इधर अविक साहा ने कहा कि इन कृषि कानूनों की योग्यता पर कोई बातचीत नहीं हो सकती। किसानों द्वारा पूर्व-स्थितियां निर्धारित की जाएंगी। इनमें कानून को भंग करना, एमएसपी के लिए कानूनी समर्थन और वार्ता मंत्रिमंडल द्वारा अधिकृत समिति के साथ होना शामिल है।
वहीं भारतीय किसान यूनियन (दकौंदा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘हमें 14 अक्टूबर को एक बैठक का निमंत्रण मिला है। उन्होंने कहा, ‘जालंधर में 13 अक्टूबर को होने वाली बैठक में सभी किसान संगठन तय करेंगे कि वार्ता के लिए दिल्ली जाना है या नहीं।’ पंजाब में किसानों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए।

