सरकार छत्तीसगढ़ के पारसा ओपन कोस्ट कोल माइन में गौतम अडानी की कंपनी को खनन की इजाजत देने की तैयारी कर रही है। बता दें कि केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाली फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी (FAC) ने खनन के लिए स्टेज-1 की फॉरेस्ट क्लीयरेंस दे दी है। जिस जगह खनन की इजाजत दी जानी है वह छत्तीसगढ़ के सरगुजा और सूरजपुर जिलों के तहत आने वाले घने जंगलों में स्थित है। इस जगह को हसदेओ अरंड के नाम से जाना जाता है और ये जंगल मध्य भारत के सबसे घने जंगलों में शुमार किए जाते हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, हसदेओ अरंड का इलाका 1,70,000 हेक्टेअर इलाके में फैला है, जिसमें से 841.538 हेक्टेअर इलाका बायोडवर्सिटी के मामले में काफी धनी माना जाता है। इसी इलाके को खनन के लिए क्लीयरेंस दिया गया है।

गौरतलब है कि खनन, राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा किया जाना है। जिसने इसकी जिम्मेदारी राजस्थान कोलेरीज लिमिटेड को सौंपी है, जो कि अडानी ग्रुप से संबंधित है। हसदेओ अरंड इलाके के घने जंगलों को देखते हुए पहले यहां खनन को लेकर हां, ना की स्थिति रही थी। हसदेओ अरंड इलाके में 30 कोल ब्लॉक हैं, जिनमें खनन किया जाना है। वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि ना सिर्फ घने जंगलों के कारण, ब्लकि यह इलाका हाथियों का महत्वपूर्ण कॉरिडोर भी है और इलाके में पानी की स्थिति के लिए भी हसदेओ अरंड काफी अहम है।

आलोक शुक्ला का ये भी कहना है कि खनन के संबंध में यहां रहने वाले आदिवासी जनता के साथ भी बातचीत की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई है। वहीं राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के निदेशक एसएस मीना का कहना है कि ‘स्टेज-2 की मंजूरी मिलने के बाद वह छत्तीसगढ़ में खनन शुरु कर देंगे। मीना ने कहा कि खनन की जिम्मेदारी राजस्थान कोलेरीज लिमिटेड को दी गई है ना कि अडानी को।’