खाड़ी क्षेत्र में सेवारत रहे एक पूर्व भारतीय राजनयिक ने कहा है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) केरल में बाढ़ राहत अभियान के लिए वित्तीय सहायता के रूप में 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की पेशकश कर रहा है, जो एक ‘‘अच्छा कदम’’ है, लेकिन इतनी बड़ी नकदी दान के रूप में स्वीकार करने में ‘‘समस्या’’ है। सऊदी अरब, ओमान और यूएई में भारतीय राजदूत रहे तलमीज अहमद ने कहा कि उनकी जानकारी में पहले नकदी हस्तांतरण की पेशकश द्विपक्षीय आधार पर नहीं की गई है। उन्होंने कहा,‘‘आपदा के समय, धनराशि का दान सामान्यत: विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय से आता है जिसे दूतावास इकट्टा करते है और ‘‘आरबीआई ड्राफ्ट’’ के रूप में उसे स्वदेश भेजते है।’’ अहमद ने ‘पीटीआई’ को बताया,‘‘राहत आपूर्ति समझ में आती है, भारतीय समुदाय (विदेशों) से दान समझ में आता है। किसी एक देश ने, मेरी जानकारी के अनुसार, इस तरह की (नकदी) पेशकश नहीं की है।’
उन्होंने कहा, पहले भी कुछ देशों ने राहत सामग्री की आपूर्ति की है। सऊदी अरब ने 2001 के भुज भूकंप के बाद इस तरह की सामग्री को तीन विमानों से भेजा था।
उन्होंने कहा,‘‘मैं नहीं सोचता कि उन्होंने (यूएई) पहले भारत सरकार से विचार-विमर्श किया होगा। इसलिए एक अन्य देश से इतनी बड़ी धनराशि दान के रूप में स्वीकार करने में एक समस्या है।’’ अहमद ने कहा कि यूएई की पेशकश बहुत अच्छी और उदारवादी है।
उन्होंने कहा कि इससे (यूएई की पेशकश) पता चलता है कि केरल के लोगों के लिए उनका गहरा लगाव है। केरल के लोगों ने भी इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अहमद ने कहा,‘‘नहीं भूलना चाहिए कि खाड़ी में भारतीय समुदाय की 40 प्रतिशत आबादी केरल से है। 80 लाख लोगों (खाड़ी में भारतीय) में से 35 लाख लोग केरल से है।’