TRF Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले टीआरएफ को अमेरिका ने शुक्रवार को एक आतंकी संगठन घोषित कर दिया। इसका सीधा मतलब हुआ कि अब उसको फंडिंग मिलना मुश्किल हो जाएगी। अब भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि चुनौतियां खत्म हो चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकी किसी एक ब्रान्ड या फिर संगठन से मतलब नहीं रखते हैं, उनका मकसद तो सिर्फ आतंक फैलाने में है, हमले करने में है।
एक सीनिय पुलिस अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि भारत के लिए यह जरूर एक कूटनीतिक जीत है, पाकिस्तान को मुश्किल में डाला या है। लेकिन बात जब मिलिटेंसी की आती है, देखना होगा कि कितना असर पड़ने वाला है। पिछले सालों के उदाहरण बताते हैं कि लश्कर, जैश या इस मामले में हिजबुल हो, ये सभी आतंकी संगठन घोषित हैं, लेकिन फिर भी हमले होते हैं।
अब क्योंकि इन आतंकी संगठनों के हमले नहीं रुके, इसी वजह से सवाल उठता है कि क्या टीआरएफ पर कोई असर पड़ने भी वाला है या नहीं। इस बारे में वहीं पुलिस अधिकारी एक दिलचस्प जवाब देते हैं। वे बोलते हैं कि टीआरएफ की लश्कर जैसी उपस्थिति पूरी दुनिया में नहीं है, इसने खुद को सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक सीमित रखा है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में किसी नए नाम के साथ वहीं पुराने आतंकी फिर हमले शुरू कर दें। नाम तो वो बदलते रहेंगे। ऐसे संगठनों के लिए आतंकवाद जरूरी होता है, ब्रान्ड नहीं।
अब जम्मू-कश्मीर के ही कई सीनियर अधिकारी पाकिस्तान की साजिश और टीआरएफ के उत्थान की कहानी बताते हैं। उना मानना है कि टीआरएफ लश्कर का ही एक शैडो ग्रुप है। जब पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में आ गया था, वो वहीं चाहता था कि लश्कर या जैश अपने ही नाम के साथ घाटी में सक्रिय रहें, ऐसे में टीआरएफ और PAFF जैसे संगठन बन गए।
सभी बड़े अधिकारियों को अब इसी बात की चिंता है कि क्या जम्मू-कश्मीर में सही मायनों में आतंकवाद कम हो सकता है या नहीं? यह सवाल भी इसलिए क्योंकि जो आतंकी संगठन हैं वो गठबंधन में काम करने लगे हैं, खुद हमला ना कर वो दूसरे छोटे संगठनों से हाथ मिलाते हैं और फिर हमले किए जाते हैं। इस बारे में कुछ अधिकारियों का कहना है कि जमीन पर अब लाइन्स ब्लर हो चुकी हैं। उनके नाम बेशक अलग हो सकते हैं, लेकिन जमीन पर सब एक दिखेंगे। ऐसे में अगर टीआरएफ जिम्मेदार भी है, हो सकता है कि कोई दूसरा संगठन हमले की जिम्मेदारी ले। ऐसे में इन सभी संगठनों का कैडर एक समान ही दिखाई देता है, सिर्फ नाम बदल जाता है।
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