जोधपुर में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एक आम सहमति है कि कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद भी गहलोत मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे या यह सुनिश्चित करेंगे कि एक “समान विचारधारा वाले” व्यक्ति को पद सौंपा जाए। जिसका अर्थ है पूर्व डिप्टी सचिन पायलट के अलावा कोई और।
इन दिनों जोधपुर के कुछ पुराने इलाकों में चाय की दुकानों, पान की दुकानों और गलियों में कांग्रेस की हालिया राजनीति और अशोक गहलोत पर खूब चर्चा हो रही है। हरिओम पान पैलेस में 48 वर्षीय कांग्रेस पार्षद राकेश कल्ला, गहलोत की विरासत तो याद करते हुए भावुक हो जाते हैं।
वह कहते हैं, ”उन्होंने पेंशन योजना लागू की, 10 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया, अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू किए, जहां गरीब लोग अपने बच्चों को भेज सकते हैं। ऐसे में अगर वह जाते हैं (मुख्यमंत्री के रूप में पद छोड़ देते हैं) तो जोधपुर बिना दिल के शरीर की तरह हो जाएगा।”
कांग्रेस पार्षद को बीच में ही टोकते हुए वहीं मौजूद 79 वर्षीय आनंद बोरा (कांग्रेस कार्यकर्ता) कहते हैं, ”इस जी हुजूरी ने ही कांग्रेस को आज इस हालत में पहुंचाया है। अपने आलोचकों को अपने पास रखना चाहिए। बदलाव जरूरी है। बूढ़े और युवाओं को साथ ले आने की जरूरत है।”
पार्षद अख्तर खान गहलोत को “जोधपुर का गॉडफादर” बताते हुए कहते हैं, ”भाजपा के पास 25 लोकसभा सांसद हैं (पूर्व सहयोगी हनुमान बेनीवाल सहित), फिर भी उनका (गहलोत) वजन उन सभी की तुलना में अधिक है,”
पार्षद परवीन के पति इलियास मोहम्मद कहते हैं, ”गहलोत के राजस्थान से बाहर जाने से विकास के पहिये धीमे हो जाएंगे। इसका असर अगले चुनाव पर पड़ेगा।”
जसवंत सराय में पार्टी कार्यालय में बैठे कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सलीम खान कहते हैं, ”यह हमारे दिल की इच्छा है कि वह सीएम बने रहें और उन्होंने संकेत दिया है कि वह वास्तव में अगला राज्य बजट पेश करेंगे।”
पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखते हुए खान कहते हैं, ”स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मायूसी और डर होना लाज़मी है। हालांकि, आशंकाएं निराधार हैं क्योंकि गहलोत को केवल पदोन्नत किया जा रहा है।
हम उनकी राजनीति से परिचित हैं। वह हमेशा यहां होता है, भले ही वह यहां व्यक्तिगत रूप से न हो। जोधपुर की राजनीति नहीं बदलेगी, चाहे वह किसी भी पद पर हो।” सलीम खान को पूरा विश्वास है कि गहलोत अभी के लिए सीएम बने रहेंगे।