तृणमूल कांग्रेस के साथ संबंधों में आई खटास और पश्चिम बंगाल विधानसभा से जीएसटी बिल पास कराने में ममता द्वारा की गई देरी के बाद बीजेपी ने अब उनपर कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाली संसदीय आचार समिति जल्द ही तृणमूल सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। एक न्यूज पोर्टल के स्टिंग ऑपरेशन में टीएमसी के सांसदों ने कैश लेने की बात कबूल की थी। आचार समिति ने टीएमसी के पांच लोकसभा सांसदों से मामले में स्पष्टीकरण मांगा था लेकिन अभी तक किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया है। इसबीच, बीजेपी के एक नेता, जो मामले पर नजर बनाए हुए हैं, ने बताया कि जल्द ही इस मसले पर कार्रवाई होती दिखेगी। उन्होंने कहा, “अब बीजेपी आचार समिति पर दबाव बनाएगी कि जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा किया जाय।”

15 सदस्यों वाली आचार समिति में 8 बीजेपी सांसद हैं। नारदा स्टिंग केस में टीएमसी के पांच सबसे सक्रिय सांसद आरोपी हैं। इनमें सुगाता रॉय, सुल्तान अहमद, सुवेन्दु अधिकारी, काकोली घोष दस्तीदार और प्रसून बनर्जी शामिल हैं। इनके अलावा राज्यसभी सांसद मुकुल रॉय का भी नाम स्टिंग ऑपरेशन के आरोपियों में शामिल है। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि टीएमसी ने जीएसटी पर सहयोग नहीं किया। ममता बनर्जी ने इस पर राजनीति की। उधर, राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए बीजेपी ने भी इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था लेकिन अब जब जीएसटी की राह में रोड़े खत्म हो चुके हैं, तब बीजेपी ने टीएमसी से निपटने के लिए नया रुख अख्तियार किया है।

बीजेपी नेता के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में उनकी पार्टी सत्तारुढ़ दल के खिलाफ चिर प्रतीक्षित आक्रामक रुख अख्तियार कर रही है। उन्होंने कहा कि “पश्चिम बंगाल उन छह राज्यों में एक है जिसे 9 अगस्त, 2014 को अमित शाह ने पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अपने पहले संबोधन में अपना लक्ष्य बताया था। उस वक्त शाह ने कहा था कि वो असम, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में चुनाव जीतकर सरकार बनाना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं से ग्राम पंचायत, जिला परिषद और नगर निकायों तक बीजेपी की मजबूत पकड़ बनाने का आह्वान किया था।” इसके अलावा पश्चिम बंगाल उन सात राज्यों में शामिल है जहां से पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए 115 सीटों को चिन्हित किया है क्योंकि हिन्दी पट्टी से कई सीटों के हाथ से निकल जाने का खतरा है।

इंडियन एक्सप्रेस ने 8 सितंबर को खबर प्रकाशित की थी कि बीजेपी ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और उत्तर-पूर्व में कुल 115 सीटों को चिन्हित किया है जहां जीत की संभावना ज्यादा है। पार्टी असम जीत चुकी है और इन राज्यों के लिए नए कार्यक्रमों का आगाज कर चुकी है। बीजेपी आंध्र प्रदेश में नई मार्केंटिंग स्ट्रैटजी अपना रही है जिसके तहत प्रेस कॉन्फ्रेन्स और वीडियो फिल्म बनाकर लोगों को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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कोझिकोड में आगामी 23 से 25 सितंबर के बीच होनेवाली राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद पार्टी केरल के लिए नई रणनीति बनाएगी। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी केन्द्र की मोदी सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रचारित-प्रसारित करेगी। मुख्य रूप से पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गरीबों, किसानों का मसीहा के रूप में प्रोजेक्ट करने की तैयारी में है।

बीजू जनता दल शासित राज्य ओडिशा में बीजेपी ने संगठनात्मक बदलाव किए हैं। वहां नवीन पटनायक ने सत्ता में वापसी करने के बाद साल 2009 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था। बीजेपी ने यहां जिला से लेकर राज्यसतरीय विरोध-प्रदर्शनों की श्रृंखला चलाने का फैसला किया है ताकि सरकार की नाकामियों को उजागर किया जा सके। बीजेपी को उम्मीद है कि ऐसा करने से बीजेडी के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी फैक्टर का ध्रुवीकरण होगा और अंतत: उसे फायदा पहुंचेगा। तमिलनाडु, जहां सत्ताधारी एआईएडीएमके बीजेपी की मित्र पार्टी है, वहां भी ऐसे कार्यक्रम चलाने की योजना बना रही है ताकि पार्टी गांव-गांव तक मजबूत हो सके।

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