उत्तर प्रदेश मे इटावा की पुलिस ने सिविल लाइन इलाके के कल्पनानर से बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से हुई 45 लाख की लूट का खुलासा करते हुए पांच लुटेरो को गिरफतार करने का दावा किया। 19 लाख की रकम घायल मनोज के दूसरे साथी शुभम के 5 फरवरी को बैंको के एटीएम में जमा कर दिए तो पुलिस के कान खड़े हो गए और यही से पुलिस को केस वर्कआउट करने में रास्ता मिला। इस लूट मे आईएफएस कंपनी के दो कर्मी मुख्य सरगना निकले जिन्होने लूट की पूरी घटना को अंजाम देने का प्लान बनाया। जिसमे अपने तीन अन्य साथियो को भी शामिल किया। इस लूट कांड के खुलासे पर डीजीपी ने 25 हजार, कानपुर जोन के आईजी ने 15 हजार का इनाम देने की घोषणा पुलिस टीम को देने की घोषणा की गई है।
इटावा की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्रीमती मंजिल सैनी ने सोमवार को पुलिस लाइन मे पत्रकारो से बात करते हुए पुलिस वर्कआउट की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन लुटेरों ने करीब 6 महीने से लुट की वारदात को अंजाम देने का खाका तैयार कर रखा था। 11 जनवरी को सैफई महोत्सव की स्टार नाइट थी उस दिन भी यह लोग यहां आये 31 जनवरी को भी यह सभी यहां आये लेकिन लूट की वारदात मे कामयाब हुए 4 फरवरी को अंजाम दिया।
उन्होंने बताया कि 45 लाख की लूट मामले मे पुलिस ने तकनीकि तौर पर सहारा लेते हुए वारदात मे गोली लगने से घायल हुए आईएफएस कंपनी के कर्मी मनोज कुमार, दूसरे कर्मी शुभम कष्यप, अकिंत कुमार, नीरज शेखर और कुलदीप कुमार को गिरफ्तार कर इनके कब्जे से 26 लाख रुपये, एक कार स्फिट डिजाइर, एक बुलेट और एक पल्सर मोटर साइकिल, एक तमंचा, एक नाइन एमएम की पिस्टल बरामद की गई है।
इन गिरफ्तार मे से कुलदीप कुमार सैफई मेडिकल कालेज के काउंसर के पद पर तैनात है जिसकी सलाह पर मनोज ने अपने आप को उस हिस्से मे गोली मरवाई जिससे उसको जान का खतरा ना हो। दूसरे सहारनपुर के अकिंत कुमार एमसीए किये हुए है और नीरज षेखर बीटेक कर रहा है दोनो मनोज के साथ पहले से संपर्क रहे है अकिंत ने ही मनोज को साल 2008 मे रूडकी मे नौकरी दिलवाई थी उसके बाद जब मनोज इटावा मे एसआईपीएल कंपनी मे काम करने लगा तो इन लोगो ने पासवर्ड के जरिये एटीएम मे डाले जाने वाली रकम मे से खासा गबन करना शुरू कर दिया गबन की गई रकम 20 लाख मे हो गई क्यों करीब तीन साल से ऑडिट ही नही किया गया इसलिए गबन की गई रकम का बैंक और कंपनी दोनो को पता नही चल सका। वारदात के बाद लुटेरो ने कार मे ही सुभम ने 23 लाख रुपए रख छोड़ दिया लेकिन वारदात के वक्त चूकि मनोज घायल हो चुका था उस वक्त मनोज पर शक नही किया गया।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने वारदात के बाद जांच के दरम्यान सीसीटीवी कैमरो की फुटेज के अलावा होटलो मे ठहरे लोगो की जानकारी और सविर्लांस के माध्यम से डिटेल संकलित कर इस अहम लूट का खुलासा करने मे कायमाबी पाई। उन्होंने बताया कि इटावा में भी बैंक ऑफ इंडिया का ठेका मुंबई की आईएफएस कंपनी को दिया गया है। आईएफएस ने इस काम के लिए इलाहाबाद की कंपनी सिक्योरटियन्स को अनुबंधित कर रखा था। सिक्योरटियन्स ने इन्हीं दो कमर्चारियों को नौकरी पर कैश डालने के लिए रखा हुआ था। बताया गया है कि बैंक साल भर एटीएम में जाने वाले रुपयों की पड़ताल नहीं करता है। मार्च में इन रुपयों की पड़ताल ऑडिट के लॉरी की जाती है। उसके बाद ही कंपनी से रिकवरी व अन्य पूछताछ की जाती है। इन युवकों ने इसी बात का फायदा उठाया।
इस प्रेसवार्ता मे मौजूद रहे कानपुर रेंज के डीआईजी नीलाब्जा चौधरी ने पूरे खुलासे के बाद बैंक कमिर्यो की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो पुलिस के उच्च अफसरों को इस संबध मे लिखेगे कि ताकि ऐसी वारदातो की दुबारा पुनरावृत्ति न हो सके क्योंकि बिना सुरक्षा के इस तरह की वारदाते होना आम बात है ।