पंचायत चुनाव में शिक्षा की अनिवार्यता पर बनाए गए अपने कानून की पुष्टि से उत्साहित हरियाणा सरकार ने शिक्षा की अनिवार्यता की शर्त को स्थानीय निकाय चुनाव में भी लागू करने का सैद्धांतिक फैसला किया है। इस आशय के संकेत हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जनसत्ता के साथ एक विशेष बातचीत में दिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला करते हुए इस दिशा में हरियाणा सरकार की ओर से बनाए गए कानून की संवैधानिक वैधता पर मुहर लगाई है।

इस अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह शिक्षा ही है जो किसी भी व्यक्ति को सही और गलत में फर्क करने की क्षमता प्रदान करती है। खट्टर ने कहा कि वे समानता की राजनीति में यकीन रखते हैं। ‘लिहाजा जब पंचायत चुनाव के लिए शिक्षा की अनिवार्यता की शर्त को लागू करते हुए चुनाव करवाए जा रहे हैं तो स्थानीय निकाय चुनाव में भी इसकी व्यवस्था की जाएगी।

इस पर हमारी सैद्धांतिक सहमति है और जल्दी ही नियम-कायदे भी लागू कर दिए जाएंगे’। हरियाणा के अलावा राजस्थान में भी पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा की अनिवार्यता की शर्त है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस फैसले के बाद दूसरे राज्य भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं और उनसे इस बारे में जानकारी मांगी जा रही है।

हरियाणा सरकार ने हरियाणा पंचायती राज कानून-संशोधन 2015 के जरिए यह व्यवस्था की थी कि सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का पंचायत चुनाव के लिए मैट्रिक पास होना जरूरी होगा जबकि महिला और दलित उम्मीदवारों का आठवीं पास होना अनिवार्य होगा। कई याचिकाएं डालकर इस कानून को चुनौती दी गई जिसे अब निरस्त कर दिया गया है। राज्य के राजनीतिक हलकों में यह बैचेनी थी कि संशोधन के कारण बहुत से पार्टी नेता चुनाव लड़ने से महरूम हो जाएंगे। हालांकि, इस फैसले से सभी पार्टियां प्रभावित होंगी।

यह भी सच है कि गांव में बहुत से उम्मीदवार शिक्षा के मामले में पिछड़े होते हैं लेकिन ऐसा भी नहीं कि पढ़े-लिखे चुनाव लड़ना नहीं चाहते। हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनाव में अपनी स्वेच्छा से फैशन डिजाइनर व पीएचडी उम्मीदवार तक चुनाव लड़े और जीते। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में पंचायत चुनावों की घोषणा हो चुकी है।