देशभर में नवरात्रि का पर्व शुरू होने वाला है। पश्चिम बंगाल में यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कोलकाता में दुर्गा पूजा की तैयारियों के बीच, संयुक्त राष्ट्र रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर कार्यालय (UNRCO) और यूनेस्को ने संयुक्त रूप से पंडालों में आम इंसान की आसानी के लिए नई मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOP) जारी की हैं। इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य दिव्यांगजनों, वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की समावेशी भागीदारी सुनिश्चित करना है।

2011 की जनगणना के अनुसार, कोलकाता की लगभग 12 प्रतिशत जनसंख्या 60 वर्ष से अधिक आयु की है, ऐसे में इस तरह की पहल की जरूरत है। 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किए जाने के साथ, इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य इस त्योहार को बंगाल की संस्कृति का सच्चा प्रतिबिंब बनाना है।

पूजा आयोजकों को नगर निगम अधिकारियों, कोलकाता पुलिस, अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवाओं और आपदा प्रबंधन अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया गया है। पूजा समितियों को सजावट से रैंप को अवरुद्ध करने, सुलभ शौचालयों की उपेक्षा करने या केवल अडियो अनाउंसमेंट से बचने के लिए कहा गया है।

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दुर्गा पूजा आयोजकों के लिए नए SOP

पूजा आयोजकों की प्रमुख ज़िम्मेदारियों में पंडाल की डिज़ाइन के दौरान ही बैठने की व्यवस्था, शौचालय और साइनेज की योजना बनाना शामिल है। उन्हें कम से कम एक सुलभ मार्ग, प्रवेश द्वार, शौचालय और रेस्टरूम जैसी अनिवार्य न्यूनतम आवश्यकताओं का पालन करना होगा। उन्हें ऑडिट, निगरानी और फीडबैक में दिव्यांगजन संगठनों (OPDs) को भी शामिल करना होगा।

एसओपी में चिह्नित आपातकालीन निकासी मार्ग, ऑडियो-विजुअल अलार्म, स्पष्ट रूप से चिन्हित शरण क्षेत्र और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों से युक्त सहायता डेस्क जैसे सुरक्षा उपायों पर प्रकाश डाला गया है। सभी पंडालों के लिए जांच सूची में शामिल हैं- रैंप और रेलिंग के साथ सीढ़ी-रहित प्रवेश द्वार, प्रवेश द्वार से 30 मीटर के भीतर चिह्नित ड्रॉप-ऑफ/पिक-अप बिंदु, फिसलन-रोधी सतहों और स्पर्शनीय मार्गदर्शक ब्लॉकों के साथ 1.5-1.8 मीटर चौड़े अवरोध-रहित मार्ग, रैंप और रेलिंग के साथ सीढ़ी-रहित प्रवेश/निकास, पंडालों के अंदर कम से कम 1.5 मीटर के अबाधित पथ और हर 30-50 मीटर पर आर्मरेस्ट सीटिंग के साथ विश्राम क्षेत्र।

पंडालों में देनी होंगी ये सुविधाएं

एसओपी के मुताबिक, इसके अलावा पंडालों में ग्रैब बार, लीवर टैप और आपातकालीन अलार्म युक्त सुलभ शौचालय, विभिन्न ऊँचाइयों पर पेयजल के लिए स्थान, व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं और बुजुर्गों के लिए स्पष्ट मंच, पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए निर्धारित क्षेत्र और प्रसाद वितरण के लिए विशेष काउंटर। पंडालों में बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी में पिक्टोग्राम और स्पर्शनीय/ब्रेल लिपि के साथ साइनेज, प्रवेश द्वार पर क्यूआर कोड वाले स्पर्शनीय मानचित्र, कई भाषाओं में घोषणाएं और प्रशिक्षित स्वयंसेवक होने चाहिए।

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