दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षकों और अरूंधति रॉय समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोमवार (4 अप्रैल) को जीएन साईबाबा को जमानत दिये जाने के फैसले का स्वागत किया। जेएनयू परिसर में एक आयोजन को लेकर देशद्रोह के एक मामले में जमानत पर चल रहे जेएनयू के छात्रों कन्हैया कुमार और उमर खालिद ने साईबाबा की जमानत को अच्छी खबर बताया। साईबाबा को कथित माओवादी संपर्क रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि सोमवार को साईबाबा को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. जीएन साईबाबा के बचाव और रिहाई के लिए बनाई गई समिति में शामिल शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं ने बयान जारी कर कहा कि यह निश्चित रूप से साईबाबा के लिए बहुत जरूरी और बहुप्रतीक्षित राहत है जो नागपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं। बयान में कहा गया कि अगर आज अदालती कार्यवाही में राज्य सरकार के रच्च्ख से कोई संकेत निकलता हो तो कहा जा सकता है कि वंचितों के लिए संघर्ष में लगातार शामिल लोगों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से अपनाई गई डराने-धमकाने वाली चालें खत्म नहीं होने वालीं।
रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर साईबाबा को डीयू से निलंबित किया गया था। उन्हें कथित माओवादी संपर्कों को लेकर 2014 में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्हें 14 महीने तक नागपुर केंद्रीय जेल में रखा गया और केंद्र की ओर से उनकी बिगड़ती सेहत पर गौर किए जाने के बाद जुलाई 2015 में उन्हें जमानत दे दी गई। हालांकि जमानत रद्द कर दी गई और पिछले साल दिसंबर में उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया।