राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद भाजपा 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ओडिशा में आदिवासी और महिलाओं की आबादी पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है। राज्य में आदिवासी आबादी कुल आबादी का 23 प्रतिशत है। जबकि 12 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी कुल आबादी का 55 प्रतिशत से अधिक है। राज्य में केवल 17 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में निवास करती है, जबकि शेष 83 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है।
राज्य की 147 सीटों में से 24 आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। इनमें से सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के पास 20 सीटें हैं, जिनमें से 3 महिला विधायक हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि महिलाओं और आदिवासी मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करने से उन्हें राज्य में एक अच्छी जीत हासिल हो सकती है। राज्य के 3.26 करोड़ मतदाताओं में से 1.54 करोड़ महिलाएं हैं।
वहीं बीजेपी महिलाओं को अपने पाले में लाने के चुनावी वादों पर भी काम कर रही है। इनमें महिलाओं की नौकरी और स्थानीय निकायों में आरक्षण, सुरक्षा, कानून व्यवस्था में सुधार आदि शामिल हैं। जबकि बीजद पहले ही लोकसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी पार्टी के 33 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दे चुकी है।
2019 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की
हाल के वर्षों ने राज्य में भाजपा की ताकत को साबित किया है। दो दशक से सत्ता पर काबिज रहे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भाजपा अब कड़ी चुनौती दे रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके अलावा भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 21 लोकसभा सीटों में से 8 पर जीत हासिल की। इस तरह से देखा जाए तो भाजपा के वोटों में भारी वृद्धि हुई। इसमें 14.5 प्रतिशत का उछाल देखा गया। स्थानीय निकाय चुनावों में भी पार्टी को शानदार सफलता मिली थी।
भाजपा दे रही सत्तारूढ़ बीजद को चुनौती
कांग्रेस की लगातार घटती ताकत का सीधा फायदा बीजेपी को मिल रहा है। इसने सत्तारूढ़ बीजद के खिलाफ खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित किया है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि उत्तर भारत में सबसे अधिक सीटें भाजपा के अधीन हैं। इसलिए, यदि कोई नुकसान होता है तो पार्टी को पूर्वी और दक्षिण भारतीय राज्यों की ओर देखना होगा।