रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आंध्र प्रदेश के कुरनूल में स्वदेश निर्मित ‘मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल’ (एमपीएटीजीएम) का बुधवार (11 सितंबर) को सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह एमपीएटीजीएम के सफल परीक्षण की यह तीसरी श्रृंखला है। इसका इस्तेमाल सेना देश की रक्षा के लिए करेगी। बता दें कि मिसाइल को सेना की इन्फैंट्री बटालियन के लिए तैयार किया जा रहा है। मिसाइस को मैन-पोर्टेबल ट्राइपाड लांचर से फायर किया गया और इसने परीक्षण के दौरान टारगेट को सफल तरीके से नष्ट भी किया।

क्या खास है इस मिसाइल मेंः बता दें कि ‘मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल’ पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित मिसाइल है। इसमें अल्ट्रा-आधुनिक इमेजिंग इन्फ्रारेड रडार लगाया गया है। यह मिसाइल को दुश्मन की टैंकों एवं अन्य बख्तरबंद वाहनों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि मिलाइल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जो उच्च विस्फोटक से लैस है। ऐसे में अधिकतम मारक क्षमता लगभग 2.5 किलोमीटर की बताई जा रही है।

National Hindi Khabar, 12 September 2019 LIVE News Updates: पढ़ें आज की बड़ी खबरें 

रक्षा मंत्री सिंह ने डीआरडीओ को दी बधाईः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिसाइल के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ को बधाई दी। अधिकारियों ने कहा कि इस परीक्षण के साथ ही मनुष्य द्वारा ले जाने योग्य टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल को बनाने में सफलता मिली है। इस मिसाइल के तीसरी पीढ़ी को स्वदेश में विकसित करने का सेना का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

यह एक पोरटेबल मिसाइल हैः रक्षा मंत्रालय ने कहा, ‘भारतीय सेना के मनोबल में बढ़ोतरी के तहत डीआरडीओ ने बुधवार (11 सितंबर) को कुरनूल रेंज से स्वदेश विकसित कम वजनी, दागो और भूल जाओ एमपीएटीजीएम का सफल परीक्षण किया।’ मंत्रालय ने बताया कि इस मिसाइल को मनुष्य द्वारा ढ़ो सकने वाले ट्राइपॉड लॉन्चर से दागा गया और इसने निर्धारित लक्ष्य को भेदा भी है।

इससे पहले ‘नाग’ का हुआ था सफल परीक्षणः भारतीय सेना ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में इससे पहले तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘नाग’ का सफल टेस्ट किया था। यह मिसाइल भी डीआरडीओ ने ही बनाया था। बता दें कि साल 2018 में नाग मिसाइल का विंटर यूजर ट्रायल भी किया गया था।