उत्तराखंड के देहरादून में दक्षिणपंथी संगठन के सदस्यों ने एक नामी बोर्डिंग स्कूल की दीवार को फांदकर अंदर मौजूद मजार को गिरा दिया। इस दून स्कूल में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी पढ़े हैं। इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया करण सिंह, नवीन पटनायक के अलावा अमिताव घोष और विक्रम सेठ जैसे बड़े दिग्गज भी इसमें पढ़े हुए हैं।

यह देहरादून में लड़कों के लिए सबसे फेमस ब्रिटिश काल का प्राइवेट बोर्डिंग स्कूल है। चार से पांच लोगों के ग्रुप ने कुल्हाड़ी और हथौड़ों से मजार को धवस्त कर दिया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। देहरादून के डीएम सविन बंसल ने शुक्रवार को पीटीआई को बताया कि यह घटना कुछ दिनों पहले हुई थी। बंसल ने कहा कि हमने इसे तोड़ने के लिए कोई भी आदेश जारी नहीं किया है।

एसडीएम की टीम को मौके पर भेजा गया

हमने मजार से संबंधित तथ्यों की पुष्टि के लिए और कानून व्यवस्था के सही से पालन के लिए एसडीएम समेत एक टीम को मौके पर भेजा था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी टीम से घटना पर रिपोर्ट मांगी। हिंदू संगठन के नेता स्वामी दर्शन भारती ने कहा कि उन्होंने हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और यहां के अधिकारियों से भी मुलाकात की थी। इसमें स्कूल के अंदर आने वाली मजार को तोड़ने का आग्रह किया।

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स्कूल के अंदर मजार नहीं होनी चाहिए

उत्तराखंड रक्षा अभियान के फाउंडर भारती ने न्यूज एजेंजी पीटीआई को बताया कि जिसने भी यह किया हो मैं इसका स्वागत करता हूं। स्कूल के अंदर मजार क्यों होनी चाहिए। वह भी दून जैसे इतने बड़े और फेमस स्कूल के अंदर। यह राज्य में लैंड जिहाद को दिखाता है। सूत्रों के मुताबिक, मजार पुरानी थी और हाल ही में स्कूल के अधिकारियों ने इसकी मरम्मत करवाई थी।

अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई

अधिकारियों ने कहा कि सीएम ने 2022 में सरकारी जमीन पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। अभियान के तहत अब तक करीब पांच हजार एकड़ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को हटाया जा चुका है। इसी बीच, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने दावा किया है कि स्कूल का वह हिस्सा जिस पर मजार खड़ी थी, कभी उनकी संपत्ति हुआ करती थी। नाम ना बताने की शर्त पर वक्फ बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि हमारे रिकॉर्ड के मुताबिक क्षेत्र में 57 एकड़ जमीन हमारी थी और इसकी वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूल से सटी जमीन का एक बड़ा हिस्सा अभी भी वक्फ बोर्ड के पास है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि उन्हें स्कूल के अंदर मजार गिराए जाने की कोई भी जानकारी नहीं है।