इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 में AMU में CAA में दिए कथित भड़काऊ भाषण के मामले में डॉ कफील खान को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद डॉक्टर कफील ने एक वीडियो जारी कर अपनी खुशी जाहिर की है। डॉक्टर कफील ने कहा कि 31 अगस्त को एक और केस की सुनवाई होनी है। उन्होंने कहा कि अगर इसी तरह से आपका समर्थन रहा तो आगे की लड़ाई भी जीतेंगे। उन्होंने कहा कि देश को जाति-पाति और धर्म मजहब के आधार पर बांटने वाले लोगों की हार हुई है।
डॉक्टर कफील ने अपने वीडिय़ो में कहा कि जिस स्पीच के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह देश तोड़ने वाला नहीं जोड़ने वाला भाषण था उसे हेट स्पीच बताया गया जोकि बेहद अफसोस जनक है।कफील के अनुसार जिन लोगों की मानसिकता, जनता को अली और बजरंग बली में बांटने की है, श्मशान और कब्रिस्तान के नाम पर बांटने की है, इंसान को इंसान से जाति मजहब और धर्म के नाम पर अलग करने की है, उन्हें मेरा प्यार बांटने वाला भाषण, नफरत बांटने वाला लगा।
कफील ने ज्यूडिशयरी का धन्यवाद देते हुए कहा कि अगर आप सही हैं तो आपको विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि एक न एक दिन आपको जीत जरूर मिलेगी। डॉक्टर कफील ने कहा कि 31 अगस्त को मेरे सस्पेंशन को लेकर भी सुनवाई होनी है। उम्मीद है कि यहां भी जीत मिलेगी।
गौरतलब है कि कोर्ट ने आरोप पत्र और संज्ञान आदेश को इसलिए दरकिनार कर दिया क्योंकि उसके मुताबिक, ऐसे मामलों (भड़काऊ भाषण के अपराध) के लिए जिलाधिकारी द्वारा केंद्र और राज्य सरकार से IPC A के तहत आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई थी।
अदालत ने आरोप पत्र और संज्ञान आदेश को इसलिए दरकिनार कर दिया क्योंकि उसके मुताबिक, ऐसे मामलों (भड़काऊ भाषण के अपराध) के लिए जिलाधिकारी द्वारा केंद्र और राज्य सरकार से भारतीय दंड संहिता की धारा 196 (ए) के तहत आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई थी।
पुलिस ने बाद में अलीगढ़ की अदालत में 16 मार्च, 2020 को आरोप पत्र दाखिल किया और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 28 जुलाई, 2020 को इस आरोप पत्र को संज्ञान में लिया जिसे चुनौती देते हुए कफील खान ने यह याचिका दायर की थी।