सरकार ने देश की 9,500 गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को ऊंचे जोखिम वाली इकाइयों के रूप में वर्गीकृत किया है। इन एनबीएफसी ने मनी लॉंड्रिंग रोधक कानून के तय प्रावधानों को पूरा नहीं किया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) ने 9,491 ऊंचे जोखिम वाले वित्तीय संस्थानों के नाम प्रकाशित किए हैं। इसके पीछे उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में अपराध रोकना और प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क करना है। इस सूची का अद्यतन जनवरी, 2018 तक किया गया है।

मनी लॉंड्रिंग रोधक कानून :पीएमएलए: के तहत एनबीएफसी को अपने वित्तीय परिचालन और लेनदेन का ब्योरा एफआईयू को देना होता है। इनमें सहकारी बैंक भी आते हैं। सूत्रों ने एफआईयू ने इन कंपनियों के आंकड़ों की जांच के बाद पाया कि इन्होंने मुख्य रूप से एक शर्त को पूरा नहीं किया। यह संदिग्ध लेनदेन और 10 लाख रुपये या अधिक के लेनदेन को रिपोर्ट करने के लिए प्रमुख अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित है। ज्यादातर एनबीएफसी ने ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है।

सूत्रों ने बताया कि नवंबर, 2016 में 1,000 और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के बाद इन संस्थानों की गतिविधियां एफआईयू की जांच के घेरे में हैं। एफआईयू ने इनके आंकड़ों के विश्लेषण के बाद नाम प्रकाशित किए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एफआईयू द्वारा नाम प्रकाशित किए जाने का मकसद जनता को यह बताना है कि ये एनबीएफसी कानून का अनुपालन नहीं कर रहे हैं और उन्हें इस तरह की इकाइयों से लेनदेन से बचना चाहिए।