दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) अपने एलिवेटेड मेट्रो स्टेशनों के निर्माण में वर्षा जल संचयन की समुचित व्यवस्था तो की है, लेकिन एक दिन की बारिश ने ही डीएमआरसी की जल संचलन की तैयारियों की पोल खोल दी है। कई मेट्रो स्टेशन और इसके खंभों से संचित बारिश का पानी मरम्मत नहीं होने से भूजल रिचार्ज में जाने के बजाए सड़कों सड़कों से होता हुआ नालों में जा रहा है।

इसे देखकर लगता है कि मेट्रो प्रशासन ने वर्षा जल संचयन की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन बारिश का पानी वास्तव में संचयित हो रहा है या नहीं इसकी किसी को फिक्र नहीं है। मेट्रो के एलिवेटेड निर्माणों की अगर मरम्मत की गई होती तो बेकार जा रहे बारिश के पानी को दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता और मेट्रो की भूजल रिचार्ज की मुहिम भी सफल होती।

दरअसल मेट्रो ने जल संरक्षण पर जोर देते हुए फेज-2 और 3 की परियोजनाओं में मेट्रो पुलों और खंभों के जरिए पिट से वर्षा जल ले जाकर भूजल रिचार्ज करने की व्यवस्था बनाई है, लेकिन मानसून से पहले एलिवेटेड निर्माणों की मरम्मत नहीं किए जाने से एलिवेटेड मेट्रो निर्माणों के कई स्थानों पर वर्षा का जल बेकार बह रहा है।

सोमवार को हुई बारिश के बाद पता चला कि बॉटेनिकल गार्डन मेट्रो स्टेशन की छत पर इकट्ठा बारिश का पानी जिन पाइपों के माध्यम से भूजल रिचार्ज की ओर जाता है, वो पाइप कई जगहों से टूट चुके हैं, जिसके कारण मेट्रो की छत का पानी सीधे जमीन पर गिर रहा था। इसी तरह न्यू अशोक नगर मेट्रो स्टेशन के पास खंभों से बारिश का पानी बहकर नालों में जा रहा था। यहां भी भूजल रिचार्ज की व्यवस्था है। मेट्रो अधिकारियों से जब मानसून से पहले वर्षा जल संचयन की तैयारियों के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।